राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से जारी बारिश के दौर ने प्रदेश के मौसम में ठंडक घोल दी है। जहां एक ओर कई जिलों में तापमान में गिरावट दर्ज की गई है, वहीं दूसरी ओर भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने राज्य के 18 जिलों में शुक्रवार के लिए **येलो अलर्ट** जारी किया है। यह अलर्ट संभावित भारी बारिश और गरज-चमक के चलते जारी किया गया है।
राज्य के जिन जिलों में येलो अलर्ट घोषित किया गया है, उनमें अलवर, भरतपुर, दौसा, जयपुर, टोंक, बूंदी, कोटा, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, राजसमंद, पाली, सिरोही, जालोर, जोधपुर, बाड़मेर और जैसलमेर शामिल हैं। मौसम विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे बिना आवश्यक कारणों के घर से बाहर न निकलें और मौसम की ताजा जानकारी पर नजर बनाए रखें।
मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अरब सागर से उठे नमी युक्त हवाओं और पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से यह बदलाव आया है। खासकर जयपुर और आसपास के क्षेत्रों में गुरुवार को रुक-रुक कर हल्की से मध्यम बारिश हुई, जिससे दिन के तापमान में औसतन 4 से 6 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की गई।
**तापमान में गिरावट से मिली राहत**
राजधानी जयपुर सहित कोटा, अजमेर और उदयपुर जैसे शहरों में बारिश के बाद तापमान 35 डिग्री से नीचे पहुंच गया है। गर्मी से परेशान लोगों के लिए यह राहत की खबर है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पिछले सप्ताह तक तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया था।
**कृषि पर बारिश का असर**
बारिश का यह दौर राज्य के किसानों के लिए भी उम्मीद की किरण लेकर आया है। विशेष रूप से जिन क्षेत्रों में खरीफ फसलों की बुवाई की तैयारी चल रही थी, वहां यह बारिश खेतों में नमी बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह सिलसिला कुछ दिन और चलता है तो वर्षा आधारित कृषि क्षेत्र में फायदा हो सकता है।
**सावधानी की अपील**
मौसम विभाग ने येलो अलर्ट जारी करते हुए जनता से कुछ सावधानियां बरतने की अपील की है। जिन इलाकों में भारी बारिश की संभावना जताई गई है, वहां जलभराव, पेड़ों के गिरने और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं हो सकती हैं। प्रशासन को भी अलर्ट मोड पर रहने को कहा गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमों को सक्रिय रखें। स्कूलों में छुट्टी को लेकर अभी कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया है, लेकिन मौसम की स्थिति को देखते हुए स्थानीय स्तर पर निर्णय लिए जा सकते हैं।
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