रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघ के हमले से रेंजर की मौत की घटना से जंगल में दहशत फैल गई है। इसका असर सरिस्का टाइगर रिजर्व में तैनात वनकर्मियों तक भी पहुंचा है। इसे लेकर अलर्ट जारी किया गया है कि गश्त के दौरान बेहद सावधानी बरतें। गर्मी में बाघों का स्वभाव बदल रहा है। वे झाड़ियों में आराम करते हैं। इसलिए उनके करीब न जाएं। अन्यथा वे आत्मरक्षा में हमला करते हैं।
कुछ दिन पहले रणथंभौर में बाघ ने सात साल की बच्ची को भी मार डाला था। अब 11 मई को एक रेंजर पर भी हमला कर उसे मार डाला। इससे वहां जंगल में घूमने आने वाले पर्यटक भी दहशत में हैं। साथ ही वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए तैनात वनकर्मी भी। सरिस्का टाइगर रिजर्व भी बड़ा जंगल है। यहां वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए 170 से ज्यादा अधिकारी और वनकर्मी तैनात हैं। बाघों की लगातार गश्त की जाती है। वनकर्मियों को पगमार्क देखने के लिए वाहन से उतरना पड़ता है। ऐसे में सावधानी बरतने को कहा गया है।
गर्मी में बाघों के दिखने की संभावना कम रहती है। वे तालाबों या घनी झाड़ियों में मिलते हैं। इससे वे अदृश्य हो जाते हैं। गश्त के दौरान वनकर्मी भी पगमार्क देखकर झाड़ियों के नजदीक चले जाते हैं, जिससे खतरा बढ़ जाता है। जिस क्षेत्र में बाघिन के शावक हैं, वहां खतरा ज्यादा है। बाघिन अपनी सुरक्षा को लेकर ज्यादा सतर्क रहती है। सरिस्का में करीब 18 शावक हैं। इन सभी पर टीम की नजर रहती है। वनकर्मियों को जंगल में गश्त के दौरान सतर्क रहने को कहा गया है। वे कोशिश करें कि गश्त के दौरान बाघ या बाघिन के नजदीक न जाएं। ऐसे में जंगली जानवर खुद को बचाने के लिए हमला कर सकते हैं।
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