पश्चिमी राजस्थान में पानी की भारी कमी है। सीमा पर सेना की मांग को देखते हुए नहरबंदी खत्म कर राजस्थान को पानी देने का निर्णय लिया गया। आनन-फानन में पौंग बांध से 6000 क्यूसेक और हरिके से 1600 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, लेकिन पंजाब ने हरिके से राजस्थान को सीधे पानी नहीं दिया। पंजाब के अधिकारियों ने पंजाब में पानी की कमी न हो, इसके लिए राजस्थान नहर की बजाय समानांतर सरहिंद फीडर को पानी दिया।
नतीजतन पहले भाखड़ा परियोजना में पानी पहुंचा। अब भाखड़ा से राजस्थान को पानी दिया जा रहा है। ऐसे में जो पानी 2 दिन में बीकानेर पहुंच जाना चाहिए था, उसे पहुंचने में 6 दिन और लगेंगे। दरअसल 11 मई को नहरबंदी खत्म करने के बाद 12 मई की सुबह से हरिके बैराज से पहले 600, फिर 1000 और बाद में 1600 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। राजस्थान के लिए पौंग बांध से सतलुज नदी में 6000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, लेकिन कुछ समय बाद पौंग से उतना ही पानी छोड़ा गया, जितना उसमें आ रहा था। इस समय आवक करीब 2500 क्यूसेक है, इसलिए उतना ही पानी छोड़ा गया।
पौंग से पानी कम होने का असर यह हुआ कि पंजाब हरिके से मिलने वाला पानी अपने सरहिंद फीडर को दे रहा है। इसलिए हरिके से राजस्थान के लिए पानी नहीं बचा। नतीजतन 13 मई को यहां फिर नहर बंदी जैसे हालात बन गए। राजस्थान ने फिर दबाव बनाया, तभी पंजाब ने भाखड़ा परियोजना से 3000 क्यूसेक पानी लेना शुरू किया। वह पानी अभी हरिके तक नहीं पहुंचा है। जब हरिके से पहुंचेगा, तब वहां से राजस्थान को पानी दिया जाएगा। ये हालात बताते हैं कि राजस्थान पंजाब के सामने किस तरह बौना साबित हो रहा है।
पौंग बांध से पानी कम होने के कारण पंजाब ने भाखड़ा से पानी ले लिया है। जितना आवक पौंग से है, उतना ही पंजाब डिस्चार्ज ले रहा है। बाद में भाखड़ा से राजस्थान को पानी की सप्लाई की जा रही है। भाखड़ा से पानी छोड़ा गया। 6 दिन में बीकानेर को पानी की सप्लाई हो जाएगी।
2.87 मीटर पानी बचा, हर दिन 23 सेमी घट रहा, 3 दिन की सप्लाई रिजर्व कर होगी सप्लाई
शोभासर जलाशय में फिलहाल 2.87 मीटर पानी बचा है। सप्लाई से जलाशय को 23 से 25 सेमी कम पानी मिल रहा है। यानी करीब 8 से 9 दिन का पानी है। अगर बुधवार को हरिके से पानी की रफ्तार नहीं बढ़ी तो आने वाले दिनों में यहां पानी की कमी हो सकती है। यह पश्चिमी विधानसभा का इलाका है। हालांकि नहरी विभाग का दावा है कि 6 दिन में यहां पानी पहुंच जाएगा। 9 दिन का पानी है, फिर भी पीएचईडी आपात स्थिति के लिए 2-2 दिन का पानी रिजर्व रखना चाहता है। वह इसलिए क्योंकि अगर पानी आने में कोई देरी होती है तो एक दिन छोड़कर सप्लाई से 4 से 5 दिन और पानी निकाला जा सकता है।
पौंग बांध व हरिके बैराज से पानी छोड़ने व रोकने का असर पश्चिमी राजस्थान की करीब ढाई करोड़ आबादी पर पड़ रहा है। इससे सिर्फ बीकानेर शहर व कंवरसेन लिफ्ट से जुड़े इलाकों को राहत है। वह भी इसलिए क्योंकि नहर विभाग ने आरडी 243 पर बने तालाब को तोड़कर कंवरसेन लिफ्ट में 70 क्यूसेक पानी छोड़ दिया। इसका असर यह हुआ कि वह पानी बुधवार को बीकानेर पहुंच गया। वहां से छोड़ा जाने वाला 70 क्यूसेक पानी बीकानेर पहुंचते-पहुंचते 30 क्यूसेक रह गया लेकिन राहत की बात यह है कि आ रहा पानी रोजाना खपत जितना ही है। लेकिन चिंता का विषय शोभासर जलाशय को लेकर है।
बुधवार को हरिके से छोड़ी गई आरडी 750 पहुंचने पर ही शोभासर जलाशय में पानी पहुंचेगा। वहां से यह गजनेर लिफ्ट में आएगा। गजनेर लिफ्ट से यह कानासर वितरिका के जरिए जलाशय में आएगा। बुधवार को हरिके से सुबह का गेज 1000 क्यूसेक था, इससे आगे पानी नहीं जा पा रहा है। बुधवार को पानी पंजाब-हरियाणा की सीमा लोहगढ़ तक ही पहुंचा। जब तक हरिके से 3000 क्यूसेक पानी नहीं छोड़ा जाता, तब तक रफ्तार नहीं बढ़ेगी। बुधवार रात तक हरिके से पानी छोड़ा भी गया तो शोभासर तक पहुंचने में कम से कम 6 दिन लगेंगे।
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