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गौरव अग्रवाल: आईआईटी-आईआईएम में पढ़ाई, हांगकांग में नौकरी छोड़ यूपीएससी परीक्षा की टॉप

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gaurav1agrawal आईआईटी, आईआईएम और यूपीएससी की परीक्षाओं में रैंक हासिल करने वाले गौरव की दिलचस्पी क्रिकेट खेलने में भी है

बीते मंगलवार को संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा के फ़ाइनल रिज़ल्ट की घोषणा की थी.

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2024 में शक्ति दुबे ने टॉप किया है. इस बार के रिजल्ट में ख़ास बात यह है कि टॉप पांच में तीन महिलाएं हैं.

इस परीक्षा में कुल 1009 परीक्षार्थी सफल हुए हैं, जिनमें 725 पुरुष और 284 महिलाएं हैं.

इस परिणाम के बीच सिविल सेवा परीक्षा के कई पुराने टॉपर चर्चा में हैं, इस कड़ी में एक नाम गौरव अग्रवाल का है जो आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद आईआईएम गए और फिर हांगकांग में नौकरी करने के बाद आईएएस अधिकारी बने.

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गौरव ने यूपीएससी 2013 की परीक्षा में टॉप किया था और वे इन दिनों राजस्थान में जोधपुर जिले के कलेक्टर हैं. उनके यहां तक पहुंचने का रास्ता कई परीक्षाओं से होकर गुजरा और इसमें अहम पड़ाव है आईआईटी कानपुर.

17 साल की उम्र में उन्होंने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में 45वीं रैंक हासिल की और आईआईटी कानपुर में उन्हें दाखिला मिला.

आईआईटी कानपुर से निकलने के बाद वो मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए आईआईएम लखनऊ पहुंचे, जहां उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया. इसके बाद नौकरी के लिए वो हांगकांग चले गए लेकिन मन में कहीं यूपीएससी का ख़्वाब भी घर कर चुका था.

'आईआईटी एडमिशन के बाद अहंकार आ गया था' image gaurav1agrawal गौरव अग्रवाल ने यूपीएससी के लिए 'भारत की अर्थव्यवस्था' नाम से किताब भी लिखी है. यूपीएससी परीक्षा में अर्थशास्त्र इनका विषय रहा है.

गौरव अग्रवाल बीबीसी हिंदी से बातचीत में कहते हैं, "मैं पढ़ने में शुरू से अच्छा था. एक सामान्य परिवार के छात्र की तरह ही मैंने भी इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए कोचिंग ली. पहली बार में ही आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में मेरी 45वीं रैंक आ गई. फिर मैं आईआईटी कानपुर पहुंच गया."

वो बताते हैं, "यह सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन मेरे अंदर कुछ एरोगेंस आ गया था कि मैं तेज़ हूं मेरी 45वीं रैंक आई है. मैं तो कुछ कर लूंगा. इसका परिणाम यह हुआ कि दूसरे और तीसरे सेमेस्टर में ही गड़बड़ियां शुरू हो गईं.'

वो बताते हैं कि आईआईटी कानपुर में कंप्यूटर साइंस की डिग्री में उनका सीजीपीए ख़राब हो गया.

उन्होंने कहा कि वे एक सेमेस्टर में फे़ल भी हो गए थे जिसके कारण वे अपने बैच के छात्रों से एक सेमेस्टर पीछे भी चले गए थे.

वो बताते हैं, "इसके बाद तो मेरा आत्मविश्वास बुरी तरह से हिल गया. मैंने यूपीएससी के लिए पहले सोच रखा था लेकिन फिर हिम्मत नहीं हुई."

'सीजीपीए अच्छा होता तो एमएनसी में नौकरी कर रहा होता' image gaurav agrawal/Youtube आईआईएम लखनऊ में टॉप करने के बाद गोल्ड मेडल के साथ गौरव अग्रवाल

वे बताते हैं कि आईआईटी कानपुर में उनका सीजीपीए ख़राब हो गया था.

अग्रवाल बताते हैं, "अगर सीजीपीए अच्छा होता तो मैं भी किसी एमएनसी में नौकरी कर रहा होता. ज़िंदगी सबको एक मौका और देती है बस उसके लिए आपको तैयार रहना होता है और उस मौके के लिए निरंतर मेहनत करनी होती है."

वे कहते हैं, "सीजीपीए ठीक नहीं था तो आईआईटी के बाद मैंने आईआईएम में प्रवेश के लिए कैट की परीक्षा दे दी. उस समय आईआईटी के बाद आईआईएम एक बेहतर कॉम्बिनेशन माना जा रहा था."

"मैंने इसे पास कर लिया और मुझे आईआईएम लखनऊ में एडमिशन मिल गया. इसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और न ही आईआईटी वाली ग़लती दोहराई."

"आईआईएम के हर सेमेस्टर में अच्छी पढ़ाई की और फिर आईआईएम लखनऊ टॉप करते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया."

फिर जगा यूपीएससी का प्रेम image gaurav1agrawal राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से सर्वश्रेष्ठ कलेक्टर होने का सम्मान प्राप्त करते गौरव अग्रवाल

आईआईएम टॉप करने के बाद दुनिया की बेहतरीन कंपनी सिटी ग्रुप, हांगकांग में नौकरी करने का ऑफर मिला.

वे कहते हैं, "इसके लिए जब मैं इंटरव्यू दे रहा था तो दिमाग में कुछ ऐसा बैठा हुआ था कि मैंने इंटरव्यू लेने वालों को कह दिया कि मैं ज़्यादा से ज़्यादा तीन से चार साल में वापस चला जाऊंगा."

"खैर, नौकरी शुरू हुई और मैं वहां फाइनेंशियल मार्केट देख रहा था. ये एक ऐसा क्षेत्र था जिसे सरकार की नीतियां बहुत ही प्रभावित करती हैं. एक बार फिर मैं वहीं आ गया जहां नीतियों का असर होता है."

"ऐसे में यूपीएससी देने का जो ख़्वाब दबा हुआ था. वो ख़्वाब, जो आईआईटी में ख़राब सीजीपीए के कारण हिल गया था वह फिर से उभर आया."

हांगकांग में ही शुरू की तैयारी image gaurav1agrawal गौरव अग्रवाल की जब डॉ. प्रीति से शादी हुई तो वह आईपीएस थे और शादी के 9वें दिन ही यूपीएससी टॉप करके आईएएस बन गए.

इसके बाद गौरव अग्रवाल ने यूपीएससी की तैयारी करना शुरू कर दिया.

तैयारी करते वक्त जब गौरव को लगा कि अब इसमें पूरी तरह से समय देना है तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी और भारत वापस आ गए.

वे बताते हैं, "कोचिंग के लिए एक दो जगहों पर दाखिला लिया लेकिन उनकी घिसी-पिटी तैयारी का तरीका मुझे रास नहीं आया और फिर मैंने खुद से ही तैयारी की."

अग्रवाल के मुताबिक पहली बार 2012 में परीक्षा दी तो उनकी 244वीं रैंक आई और उन्हें आईपीएस कैडर मिला.

वे कहते हैं, "मुझे नीतियों में ज़्यादा दिलचस्पी थी तो मन मेरा आईएएस की तरफ ही आकर्षित था."

"एक बार फिर से 2013 में परीक्षा दी और फिर जो परिणाम आया उसने मेरे उस ख़्वाब को पूरा किया जो कि आईआईटी की 45वीं रैंक की खुमारी के कारण से भटक गया था."

उन्होंने इस बार यूपीएससी टॉप किया था. वे बताते हैं कि जिस तरह क्रिकेटर सौरव गांगुली ने अपनी टीम को लड़ना सिखाया था, कैरी ऑन करना सिखाया था, मैंने भी कैरी ऑन करना सीख लिया था.

गौरव अग्रवाल को क्रिकेट में भी दिलचस्पी है.

पहली बार देश में एआई ने जांची परीक्षा की कॉपियां image gaurav1agrawal गौरव अग्रवाल यूपीएससी टॉप करने वाले राजस्थान के पहले व्यक्ति हैं

यूपीएससी टॉप करने के बाद गौरव अग्रवाल को पोस्टिंग अपने गृह राज्य में ही मिली. वह यूपीएससी टॉप करने वाले राजस्थान के पहले व्यक्ति थे.

इंजीनियरिंग बैकग्राउंस से आने वाले गौरव अग्रवाल को जब राज्य में माध्यमिक शिक्षा का निदेशक बनाया गया तो उन्होंने पहली बार एक से आठवीं तक की कॉपियों के लिए पेपर बनाने से लेकर जांच करने का काम एआई से कराने का फै़सला किया.

गौरव बताते हैं, "राजस्थान में करीब 65 हज़ार स्कूल हैं और सबके पेपर अलग सेट हो रहे थे और इनकी जांच भी अलग हो रही थी. ऐसे में छात्रों की क्षमता का सही पता नहीं चल पा रहा था. इस काम में ज़्यादा मेहनत भी लग रही थी और परिणाम भी अच्छा नहीं था. इसे देखते हुए एक प्रोग्राम तैयार किया गया और पेपर एक ही जगह से सेट करके सभी को भेज दिया गया."

परीक्षा के बाद सभी शिक्षकों को सिर्फ इतना करना होता था कि उस उत्तर पुस्तिका की फोटो खींच कर प्रोग्राम में भेजना होता था और इसके बाद एआई कॉपी की जांच कर देता था. एक बार में एआई के माध्यम से डेढ़ करोड़ कॉपियों की जांच हो जाती है.

वह बताते हैं कि इस प्रणाली से फायदा यह हुआ कि कौन सा छात्र किस विषय के किस स्तर पर कमज़ोर या फिर ताकतवर है, यह भी पता चल गया. इसके अनुसार पढ़ाई के लिए पुस्तिका तक के पैटर्न में बदलाव किया गया.

हालांकि शिक्षकों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और पदोन्नति को लेकर किया गया एक तकनीकी बदलाव उनके एपीओ होने का कारण भी बना और उसके कारण उन्हें निदेशक के पद से हटा भी दिया गया.

गौरव अग्रवाल कहते हैं, "ज़िंदगी का सफर अगर आसान रखना है तो कुर्सी को ज़्यादा दिल से नहीं लगाना चाहिए."

शिक्षा विभाग से निकलकर गौरव अग्रवाल कृषि विभाग में पहुंचे.

किसान कॉल सेंटर जहां सालभर में करीब 70 लाख कॉल कृषि की तमाम जानकारियों के लिए आती हैं. उन्होंने इसे सुधारने का काम शुरू किया.

'यह 100 मीटर की रेस नहीं, मैराथन है' image gaurav1agrawal गौरव ने कंप्यूटर में अपनी तकनीकी शिक्षा की छाप शिक्षा और कृषि विभाग में भी छोड़ी है

परीक्षाओं की तैयारी कैसे की जाए? इसे लेकर क्या रणनीति अपनाई जानी चाहिए?

गौरव अग्रवाल कहते हैं, "कोई भी बड़ी परीक्षा 100 मीटर रेस की तरह नहीं होती हैं. यह मैराथन होती है. यह निरंतर अभ्यास, मेहनत और धैर्य मांगती है. जो भी शख्स निरंतरता बनाए रखता है, उसे निश्चित रूप से ही सफलता मिलती है."

यूपीएससी, आईआईएम या आईआईटी, कोई भी परीक्षा हो. इसमें परिवार का बड़ा योगदान होता है.

तैयारी के दौरान कई बार ध्यान भटकता है. धैर्य खोता है इस दौरान परिवार से बेहतर बातचीत उसे संयमित करने का काम करती है.

वह कहते हैं, "सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस दौरान आपको स्वस्थ रहना होता है और मानसिक रूप से चुस्त रहना होता है. ऐसे में कोई एक व्यायाम और योग व्यक्ति को ज़रूर करना चाहिए. इससे आपको बहुत ही राहत और ताकत मिलेगी. मैं अपनी तैयारी के दौरान हमेशा दौड़ लगाता था."

वो कहते हैं, "किसी भी परीक्षा की तैयारी करने वाले व्यक्ति को ये बात ध्यान में रखना चाहिए कि ये परीक्षाएं रटकर देने वाली नहीं होती हैं.

"रट्टा मारने का काम कंप्यूटर का होता है. ये परीक्षाएं आपके सोचने की क्षमता का आकलन करने के लिए होती हैं. ऐसे में विषयों को रट्टा मारने के बजाय समझकर लिखें."

गौरव अग्रवाल कहते हैं, "ज़िंदगी में हमेशा एक ही दौर नहीं रहता है. ऐसे में जब आप का दौर निचले स्तर पर चल रहा हो तो भरोसे के साथ और मेहनत करनी चाहिए और फिर दौर आपका होगा."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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