एलिसा हीली के शतकीय प्रहार से भारत को आईसीसी वीमेंस वनडे वर्ल्ड कप में लगातार दूसरी हार का सामना करना पड़ा. इस हार ने भारत की सेमी फाइनल की राह थोड़ी मुश्किल बना दी है.
ऑस्ट्रेलिया की तीन विकेट से जीत की हीरो कप्तान एलिसा हीली रहीं. उनके शानदार शतक की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने वर्ल्ड कप में अब तक के सबसे बड़े 331 रन के लक्ष्य को हासिल किया.
इससे पहले साल 2004 में श्रीलंका ने दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ 305 रनों के लक्ष्य को हासिल कर रिकॉर्ड बनाया था.
एलिसा हीली वर्ल्ड कप में इस मैच से पहले तक रंगत में नहीं दिख रहीं थीं. पर उन्होंने दिखाया कि क्यों उन्हें महत्वपूर्ण मौकों पर प्रदर्शन करने वाली क्रिकेटर माना जाता है.
भारत ने जब उनके सामने वर्ल्ड कप इतिहास का सबसे बड़ा लक्ष्य रखा, तो उन्होंने पहली दो साझेदारियों से ही मैच का रुख़ ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में कर दिया.
एलिसा हीली ने 107 गेंदों में 142 रनों की पारी खेली, इस पारी में उन्होंने 21 चौके और तीन छक्के लगाए. उनके खेलने के दौरान कभी भी ऐसा नहीं लगा कि ऑस्ट्रेलिया लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएगा.
हीली ने इससे पहले साल 2022 के वर्ल्ड कप फ़ाइनल में शतक लगाया था. यह उनका वर्ल्ड कप में तीसरा और वनडे करियर का छठा शतक है. इस प्रदर्शन के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया.
हीली मैदान में हर तरफ शॉट खेलने की महारत रखती हैं. उन्हें रोकने का एकमात्र तरीका ज़्यादा से ज़्यादा डॉट गेंदें डालकर उन पर दबाव बनाना ही हो सकता है, ताकि वो ग़लती करें और अपना विकेट दे दें.
लेकिन उन्होंने लगातार रन लेकर छोर बदलकर भारतीय गेंदबाजों की मुश्किलों को बढ़ाए रखा.
इस जीत के लिए एलिस पैरी की भी तारीफ करनी होगी. वह तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आईं लेकिन 69 रनों की साझेदारी के बाद पैर में खिंचाव की वजह से उन्हें मैदान छोड़कर जाना पड़ा.
एलिस पैरी ज़रूरत पड़ने पर फिर लौटीं और छक्के से विजयी रन बनाकर भारत पर जीत के सिलसिले को जारी रखा.
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एनाबेल सदरलैंड ने महत्वपूर्ण मौक़े पर अपनी गेंदबाजी के कमाल से भारत को कुछ नहीं तो 25-30 रन कम बनाने दिए और आखिर में इसने जीत में अहम भूमिका निभाई.
सदरलैंड इस वर्ल्ड कप में पांच विकेट लेने वाली पहली गेंदबाज़ बन गईं. उन्होंने 40 रन पर पांच विकेट निकाले.
जब भारतीय टीम का स्कोर 192 रन था, उस वक़्त सदरलैंड ने प्रतिका रावल को आउट कर अपने विकेटों का खाता खोला. उन्होंने जेमिमा रोड्रिग्ज और रिचा घोष के विकेट निकालकर भारत की खतरनाक बनती पारी को थामने में अहम भूमिका निभाई.
बाद में उन्होंने क्रांति गौड़ और श्रीचरणी के विकेट निकालकर अपने पांच विकेट पूरे किए.
सदरलैंड ने भारतीय पारी में दूसरा विकेट लेते ही वनडे क्रिकेट में अपने 50 विकेट पूरे कर लिए. साथ ही इस वर्ल्ड कप में वह अपने 50 विकेट पूरे करने में सफल हो गई हैं.
भारत के निचले क्रम ने किया निराशभारतीय पारी की जिस तरह से शुरुआत हुई थी, उससे लग रहा था कि टीम 370-380 रन तक पहुंच सकती है. लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने विकेट पर टिककर खेलने का ही प्रयास नहीं किया.
यह सही है कि आखिरी ओवरों में तेजी से रन बनाने की जरूरत होती है, पर जब बड़े शॉट खेलने के प्रयास में दो-तीन विकेट निकल गए.
ऐसे समय में पूरे ओवर खेलने का प्रयास किया गया होता तो टीम का स्कोर 350 रनों तक पहुंच सकता था. इस ग़लती की वजह से ही पूरी टीम 49 ओवरों में सिमट गई.
भारत ने अंतिम छह ओवरों में 20 रनों पर छह विकेट गंवा दिए.
पिछले मैच में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली रिचा घोष के आउट होने से भारतीय पारी उस स्कोर तक नहीं पहुंच सकी, जिसकी उम्मीद की जा रही थी.
रिचा 22 गेंदों में तीन चौकों और दो छक्कों की मदद से 32 रन बना चुकीं थीं. ऐसा लग रहा था कि वह पिछले दिन वाली फॉर्म में ही हैं. लेकिन तभी वह छक्का लगाने के प्रयास में कैच दे बैठीं. उनके आउट होते ही भारतीय पारी बिखर गई.
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भारत इस वर्ल्ड कप में बल्लेबाज़ी को मजबूती देने के लिए पांच गेंदबाजों के साथ खेल रही है.
पांच गेंदबाजों के साथ खेलने की परख पहले दो मैचों में नहीं हो सकी. लेकिन दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ यह कमजोरी उजागर हो गई. लेकिन भारत ने इस हार से भी सबक नहीं लिया.
एलिसा हीली ने पहले लिचफील्ड और फिर एलिस पैरी के साथ आक्रामक अंदाज से शुरुआत करके क्रांति गौड़ पर दबाव बना दिया. बाद में स्पिन अटैक की भी जमकर धुनाई की.
इन बल्लेबाजों ने ऑफ स्पिनर स्नेह राणा की गेंदों पर खूब रन बटोरे. पर कप्तान हरमनप्रीत कौर के पास उनका विकल्प ही नहीं था. इस कारण स्नेह से पूरे 10 ओवर कराने पड़े, जिसमें उन्होंने बिना विकेट लिए 85 रन दिए.
ऐसा नहीं है कि भारतीय टीम में और गेंदबाज नहीं हैं. राधा यादव को मौका दिया जा सकता है. वैसे भी भारत के लिए अब एक भी हार बहुत महंगी साबित हो सकती थी.
मंधाना ने रचा इतिहास
स्मृति मंधाना पहले तीन मैचों में पूरी लय में खेलती नहीं दिख रहीं थीं. पर इस महत्वपूर्ण मुकाबले में वो रंगत में नज़र आईं.
वह शतक से 20 रन दूर जरूर रह गईं लेकिन वनडे क्रिकेट में एक कैलेंडर साल में 1000 रन बनाने वाली पहली खिलाड़ी बन गई हैं. उन्होंने साल 1997 में बेलिंडा क्लार्क द्वारा बनाए 970 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ा है.
मंधाना के इस कैलेंडर साल में 1062 रन बनाए हैं. यह रन बनाने के लिए उन्होंने 18 मैच खेले हैं. इसमें चार शतक और चार अर्धशतक शामिल हैं.
स्मृति ने अपनी 80 रनों की पारी के दौरान अपने वनडे क्रिकेट में 5000 रन भी पूरे कर लिए. यह उपलब्धि हासिल करने वाली स्मृति दुनिया की पांचवीं बल्लेबाज हैं.
भारतीय बल्लेबाजों में उनके अलावा 5000 रन बनाने वाली मिताली राज हैं.
स्मृति यहां तक पहुंचने वाली सबसे युवा बल्लेबाज हैं. साथ ही उन्होंने सबसे तेजी से भी यह रन बनाए हैं. उन्होंने स्टीफेनी टेलर के रिकॉर्ड को तोड़ा है.
स्मृति ने 112 पारियों में 5569 गेंदों में 5000 रनों का आंकड़ा पार किया है. टेलर ने 124 पारियों में 6182 गेंदें खेलकर पिछला रिकॉर्ड बनाया था.
रिकॉर्ड साझेदारी भी नहीं आई काम
भारत की मंधाना और प्रतिका की ओपनिंग जोड़ी ने 155 रनों की साझेदारी बनाकर भारत को इस वर्ल्ड कप में पहली बार मजबूत आधार दिया. यह वीमेंस वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ अब तक की सबसे बड़ी साझेदारी है.
इससे पहले वीमेंस वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ ओपनिंग साझेदारी का रिकॉर्ड इंग्लैंड की बल्लेबाज केरोलाइन अटकिंस और साराह टेलर के नाम दर्ज था. इस जोड़ी ने साल 2009 में 119 रन की साझेदारी का रिकॉर्ड बनाया था.
मंधाना ने अपना अर्धशतक 46 गेंदों में और प्रतिका रावल ने 69 गेंदों में पूरा किया. इस जोड़ी ने सावधानी के साथ पारी की शुरुआत करने की रणनीति बनाई. इस कारण पहले सात ओवरों में 25 डॉट बॉल खेलीं.
लेकिन स्पिनरों के आते ही तेजी से रन बनाने की शुरुआत करके पारी को सही राह पर ला दिया.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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