नई दिल्ली, 23 मई . विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे को खारिज कर दिया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी. इसके साथ ही उन्होंने यह स्पष्ट किया कि संघर्ष विराम बिना किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के, दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत का परिणाम था.
नीदरलैंड में मीडिया को दिए साक्षात्कार में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि यह ऐसा मामला है जिसे केवल भारत और पाकिस्तान को सीधे तौर पर निपटाने की जरूरत है.
उन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए भारत तैयार है, लेकिन केवल गंभीर शर्तों पर, जिसमें सीमा पार आतंकवाद को खत्म करना प्राथमिकता हो. उन्होंने कहा कि हम हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन बातचीत गंभीर होनी चाहिए और आतंकवाद को रोकने पर केंद्रित होनी चाहिए.
जयशंकर की टिप्पणी ट्रंप की पिछली टिप्पणियों के जवाब में आई है, जहां दावा किया गया था कि अमेरिका ने दो दक्षिण एशियाई देशों के बीच ‘हजार साल के संघर्ष’ के रूप में वर्णित शांति में मध्यस्थता करने में मदद की थी.
हालांकि, भारत ने लगातार यह कहा है कि कश्मीर मुद्दा और उससे जुड़े तनाव द्विपक्षीय मामले हैं और इनमें बाहरी मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है. हाल ही में एक साक्षात्कार में जयशंकर ने भारत-पाकिस्तान संबंधों की ऐतिहासिक जटिलताओं पर विस्तार से चर्चा की, जो 1947 के विभाजन के समय से चली आ रही हैं.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की शत्रुता का स्वरूप तब शुरू हुआ, जब उसने कश्मीर में कबायली मिलिशिया के वेश में लड़ाके भेजे, जिनकी बाद में पहचान पाकिस्तानी सैनिकों के रूप में हुई, जिनमें से कुछ वर्दी में थे और कुछ नहीं थे.
जयशंकर ने कहा कि कई वर्षों से पाकिस्तान चरमपंथ के रास्ते पर चल रहा है और भारत पर दबाव बनाने के लिए सीमा पार आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहा है.
बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए एक घातक आतंकवादी हमले के बाद दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव फिर से बढ़ गया, जिसमें एक नेपाली नागरिक सहित 26 लोगों की जान चली गई. इस हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ प्रमुख आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर एक सटीक आतंकवाद विरोधी अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस अभियान में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे कुख्यात संगठनों से जुड़े 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए.
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पीएसके/एकेजे
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