श्रीनगर, 25 अप्रैल . जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत सरकार और सुरक्षा बलों ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एस.पी. वैद ने शुक्रवार को कहा कि हमले में शामिल आतंकियों के घरों को ध्वस्त करना एक बड़ा कदम है. आतंकियों और उनके समर्थकों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं बरती जाएगी.
वैद ने कहा कि पहलगाम में शामिल आतंकवादी के घर ध्वस्त कर दिए गए हैं और यह एक बड़ा कदम है. दुश्मन के प्रति कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए और न ही उनके समर्थकों को कोई समर्थन मिलना चाहिए. बांदीपुरा में मारा गया आतंकवादी आदिल का मारा जाना एक बड़ी सफलता है. अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के जरिए घुसपैठ करने वालों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन तब तक जारी रहने चाहिए, जब तक उनका सफाया नहीं हो जाता. आतंकवादियों के बारे में सूचना देने वालों को इनाम दिया जाएगा और उनका समर्थन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुलेआम कहा कि वह यहां पाकिस्तानियों को प्रशिक्षण देते हैं और उनके निर्देश पर ही इन आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया गया और हथियार मुहैया कराए गए. पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान ने स्वीकार किया है कि पूरी साजिश उनकी है, आतंकवाद की फैक्ट्री जम्मू-कश्मीर में चलती है. यह पहली बार नहीं है, जब उनकी ओर से ऐसा कबूलनामा आया है. इससे पहले जनरल मुशर्रफ ने भी कई बार कहा था कि ओसामा बिन लादेन ‘पाकिस्तान का हीरो’ है. वे अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल करके जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का उद्योग चलाते हैं, इसे अब पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने भी स्वीकार कर लिया है. सेना प्रमुख का जम्मू-कश्मीर दौरा और उनके द्वारा की गई महत्वपूर्ण बैठकें स्पष्ट रूप से संकेत देती हैं कि आने वाले दिनों में केंद्र शासित प्रदेश में अभियान तेज होंगे और सभी आतंकवादियों को खोजकर खत्म किया जाएगा.
वैद ने कहा कि पहले पाकिस्तान रोटी के लिए तरसता था, अब आने वाले दिनों में वह पानी के लिए भी तरसेगा. आप देखेंगे कि सिंधु जल संधि के साथ-साथ पाकिस्तान को बड़े परिणाम भुगतने होंगे. पाकिस्तान शिमला समझौते को रद्द करने की बात कर रहा है, लेकिन ऐसा करने से पहले उसे इसकी शर्तों को ध्यान से पढ़ना चाहिए. पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि 21,000 वर्ग किलोमीटर का हाजी पीर इलाका अभी उसके पास है. अगर समझौता रद्द होता है तो वह इलाका भारत को वापस मिल जाएगा. भारतीय सेना ने उस इलाके को जीता था, लेकिन तब उसे वापस कर दिया था. अगर समझौता रद्द होता है तो पाकिस्तान को वह जमीन भारत को वापस करनी होगी.
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एकेएस/एकेजे
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