New Delhi, 9 नवंबर . उपPresident सी. पी. राधाकृष्णन Sunday को कर्नाटक का दौरा करेंगे. सितंबर में पदभार ग्रहण करने के बाद यह उनका पहला कर्नाटक दौरा होगा. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.
कर्नाटक दौरे के दौरान, उपPresident परमपूज्य आचार्य श्री 108 शांति सागर महाराज जी की स्मृति में आयोजित समारोह में भाग लेंगे और श्रवणबेलगोला, हासन में श्रद्धेय जैन मुनि और आध्यात्मिक गुरु को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.
अधिकारी ने एक बयान में कहा कि यह आयोजन 1925 में चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री 108 शांति सागर महाराज की श्रवणबेलगोला की पहली यात्रा के शताब्दी वर्ष का प्रतीक है.
इस स्मृति समारोह के दौरान, उपPresident राधाकृष्णन आचार्य श्री शांति सागर महाराज की मूर्ति के ‘स्थापना समारोह’ और चौथी पहाड़ी के ‘नामकरण समारोह’ में भी भाग लेंगे. बाद में, वह मैसूर स्थित जेएसएस उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान अकादमी के 16वें दीक्षांत समारोह में भाग लेंगे, जो जगद्गुरु श्री वीर सिंहासन महासंस्थान मठ, सुत्तूर श्रीक्षेत्र से संबद्ध है और स्नातक छात्रों को संबोधित करेंगे.
उपPresident कर्नाटक के सबसे प्रमुख मठ केंद्रों में से एक, सुत्तूर मठ के पुराने परिसर का भी दौरा करेंगे. वह मैसूर के निकट श्री चामुंडेश्वरी देवी मंदिर और मांड्या के मेलकोट स्थित चेलुवनारायण स्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे.
Saturday को, दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक, जैन धर्म के गहन योगदान पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि इसकी शिक्षाओं, अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह और अनेकांतवाद ने India और दुनिया पर अमिट छाप छोड़ी है.
New Delhi में जैन आचार्य श्री हंसरत्न सूरीश्वरजी महाराज जी के आठवें 180 उपवास पारणा समारोह को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि India के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी द्वारा अपनाई गई अहिंसा वैश्विक शांति आंदोलनों को प्रेरित करती रही है.
उपPresident ने आगे बताया कि शाकाहार, पशुओं के प्रति करुणा और सतत जीवन के जैन सिद्धांतों को पर्यावरणीय उत्तरदायित्व के आदर्श के रूप में दुनिया भर में मान्यता मिली है.
अपनी व्यक्तिगत यात्रा को याद करते हुए बताया कि उन्होंने 25 साल पहले काशी की यात्रा के बाद शाकाहार अपनाया था और पाया कि इससे विनम्रता, परिपक्वता और सभी प्राणियों के प्रति प्रेम का विकास होता है.
उन्होंने Prime Minister Narendra Modi के नेतृत्व में प्राकृत को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा देने और ‘ज्ञान भारतम मिशन’ जैसी पहलों के माध्यम से जैन पांडुलिपियों को संरक्षित करने के Government के प्रयासों की सराहना की.
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एससीएच/एएस
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