नई दिल्ली, 13 मई . योगा में प्राणायाम का बहुत महत्व है और महत्वपूर्ण प्राणायामों में से एक है कपालभाति, जिसका अर्थ है ‘ललाट का तेज’. कपालभाति एक लोकप्रिय प्राणायाम है, जिसे सुबह के समय कुछ मिनट करने से कई बीमारियों की छुट्टी हो जाती है. कपालभाति से ब्लड सर्कुलेशन तो अच्छा होता है ही, साथ ही दिमाग भी शांत रहता है. हालांकि, इसे लेकर कुछ सावधानियां भी हैं, जिसे ध्यान में रखना बेहद जरूरी है.
कपालभाति से मिलने वाले फायदे इतने हैं कि उन्हें उंगलियों पर गिना नहीं जा सकता. यह पूरे शरीर के लिए लाभदायक है. पहले हम जानेंगे कि कपालभाति करने से क्या-क्या फायदे मिलते हैं और इसे करने का सही तरीका क्या है.
कपालभाति करने के लिए सबसे पहले वज्रासन मुद्रा में बैठ जाएं और अपने दोनों हाथ घुटनों पर रखें. गहरी सांस अंदर लें और हल्के झटके के साथ सांस छोड़ें. सांस छोड़ने पर फोकस करते हुए ऐसा कुछ मिनट तक लगातार करते रहें. शुरुआत में सांस छोड़ने की गति धीमी हो सकती है जो अभ्यास बढ़ने के साथ बढ़ाई जा सकती है.
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय भी इसकी पुष्टि करता है कि कपालभाति को यदि सही तरीके से किया जाए, तो यह आपके दिमाग को शांत रखने के साथ ही कई बीमारियों को भी दूर करता है. कपालभाति फ्रंटल एयर साइनस को शुद्ध करने के साथ ही कफ की समस्या को खत्म करता है और तंत्रिका तंत्र को संतुलित कर शरीर को स्फूर्ति प्रदान करता है. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, पाचन क्रिया बेहतर होती है और वजन भी कम होता है. साथ ही शरीर में रक्त संचार भी ठीक होता है.
योग गुरु बाबा रामदेव बताते हैं कि मधुमेह के रोगियों के लिए कपालभाति लाभदायक है और इससे मस्तिष्क के साथ तंत्रिका तंत्र को भी ऊर्जा मिलती है.
हालांकि, कई मायनों में लाभदायक कपालभाति प्राणायाम अधिकतर लोगों को फायदा देता है, लेकिन कुछ स्थितियों में इसका अभ्यास करने से बचना चाहिए. जिन लोगों को कपालभाति न करने की सलाह दी जाती है, उनमें गर्भवती महिला, मासिक धर्म का समय, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, हर्निया, स्लिप डिस्क या पेट दर्द जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोग शामिल हैं. यही नहीं, अगर आपको चक्कर या बेचैनी जैसी समस्या है, तो भी विशेषज्ञ कपालभाति न करने की सलाह देते हैं.
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एमटी/एएस
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