मदुरै, 25 अगस्त . गणेश चतुर्थी से दो दिन पहले तमिलनाडु के मदुरै के विलाचेरी इलाके में मूर्तियों की बिक्री तेजी से बढ़ रही है.
यहां 300 से अधिक परिवार पीढ़ियों से मूर्तियां बनाने के पारंपरिक काम में जुटे हैं. यह कुटीर उद्योग मूर्तियों, नवरात्रि की गोलू गुड़िया और क्रिसमस डॉल के निर्माण पर केंद्रित है. हालांकि, कारीगरों ने बैंक ऋण और मिट्टी की उपलब्धता जैसे मुद्दों पर सरकारी सहायता की मांग की है.
विलाचेरी में मूर्ति निर्माण का काम जोरों पर है. इस साल मूर्तियों का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है. स्थानीय कारीगर चिन्नम्मा ने बताया, “गणेश चतुर्थी के लिए मूर्तियों की मांग बहुत ज्यादा है. इसके बाद हम नवरात्रि और क्रिसमस के लिए गुड़ियां बनाएंगे. लेकिन, त्योहारी सीजन के अलावा बाकी समय में काम और आय सीमित रहती है.”
चिन्नम्मा ने कहा, “बैंक केवल व्यवसाय मालिकों को ऋण देते हैं, व्यक्तिगत कारीगरों को नहीं. गैर-त्योहारी मौसम में यह हमारे लिए बड़ी समस्या है. हम सरकार से मांग करते हैं कि कारीगरों के लिए आसान ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जाए.”
इसके अलावा, मूर्ति निर्माण के लिए मिट्टी की कमी भी एक बड़ी चुनौती है. कड़े सरकारी नियमों के कारण मिट्टी प्राप्त करना मुश्किल हो गया है. कारीगरों ने सरकार से मिट्टी की आपूर्ति सुनिश्चित करने की अपील की है. उनका कहना है कि अगर मिट्टी आसानी से मिले, तो उत्पादन बढ़ेगा और आय में भी सुधार होगा.
विलाचेरी के कारीगरों का यह पारंपरिक काम न केवल उनकी आजीविका का स्रोत है, बल्कि यह सांस्कृतिक विरासत को भी जीवित रखता है. सरकारी सहायता मिलने से इसे मजबूती मिल सकती है, जिससे कारीगरों का जीवन स्तर सुधरेगा. कारीगरों ने विश्वास जताया है कि इस बार मांग तेज होगी और उन्हें बड़े पैमाने पर आर्थिक मुनाफा भी होगा.
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एसएचके/एबीएम
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