भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर मंगलवार को तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे। यह यात्रा रूसी उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के निमंत्रण पर हो रही है। इस दौरान जयशंकर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी मुलाकात करेंगे। जयशंकर का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक स्तर पर अमेरिका और रूस के बीच तनाव गहराया हुआ है और भारत-रूस की रणनीतिक साझेदारी एक नए आयाम पर पहुंच रही है।Hon’ble EAM @DrSJaishankar arrives in Moscow on an official visit to Russia.
— India in Russia (@IndEmbMoscow) August 19, 2025
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भारत-रूस व्यापार और सहयोग पर अहम बैठकें
जयशंकर बुधवार, 20 अगस्त को भारत-रूस अंतर-सरकारी व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग आयोग (आईआरआईजीसी-टीईसी) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता करेंगे। इस बैठक में दोनों देशों के बीच ऊर्जा, रक्षा, व्यापार और विज्ञान-तकनीक के क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा होगी। इसके अलावा, वे मॉस्को में आयोजित भारत-रूस व्यापार मंच को भी संबोधित करेंगे।
लावरोव के साथ रणनीतिक बातचीत
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ मुलाकात में जयशंकर भारत-रूस संबंधों की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करेंगे और आने वाले समय में सहयोग बढ़ाने की रूपरेखा पर चर्चा करेंगे। इस बातचीत में क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों जैसे यूक्रेन संकट, पश्चिमी देशों के साथ रूस के तनाव और एशिया-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियां भी शामिल होंगी।
ट्रंप के टैरिफ वॉर और भारत-रूस की बढ़ती नजदीकियां
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए टैरिफ ने भारत की विदेश नीति को नए सिरे से आकार देने का काम किया है। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन की नीतियों के बीच भारत रूस के साथ अपने संबंध और गहरे कर रहा है। हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल भी रूस की यात्रा पर गए थे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी। इसी दौरान पुतिन के भारत दौरे पर भी सहमति बनी। इस महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच दो बार फोन पर बातचीत हो चुकी है। पुतिन ने हाल ही में ट्रंप से मुलाकात के बाद भी मोदी को फोन करके विस्तार से जानकारी दी थी।
पुतिन से मुलाकात की संभावना
विदेश मंत्री जयशंकर के इस दौरे में पुतिन से मुलाकात की संभावना को भी नकारा नहीं जा रहा है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि भारत और रूस के बीच उच्चस्तरीय संवाद लगातार तेज़ हो रहा है। यह सिलसिला भारत की सामरिक नीति के लिए बेहद अहम माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका की संरक्षणवादी नीतियों ने वैश्विक व्यापार व्यवस्था को झटका दिया है।
गहराता सहयोग, बदलती कूटनीति
भारत और रूस दशकों पुराने मित्र रहे हैं और मौजूदा हालात में यह संबंध और मजबूत होते दिख रहे हैं। चाहे ऊर्जा की आपूर्ति का मुद्दा हो या रक्षा क्षेत्र में सहयोग का, दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे पर भरोसा जताया है। अब जब अमेरिका की नीतियों से वैश्विक समीकरण बदल रहे हैं, भारत रूस को एक अहम साझेदार के रूप में और गहराई से देख रहा है। जयशंकर का यह दौरा न केवल व्यापार और रणनीति की दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का भी परिचायक है।
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