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राजस्थान: जैसलमेर में भयानक सड़क हादसा, कैम्पर और ट्रक की आमने-सामने टक्कर, 4 की दर्दनाक मौत

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जैसलमेर: जिले के लाठी थाना क्षेत्र में शुक्रवार को एक दिल दहला देने वाला सड़क हादसा हुआ, जिसमें चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। यह भीषण दुर्घटना उस समय हुई जब एक तेज़ रफ्तार ट्रक और कैम्पर वाहन की आमने-सामने टक्कर हो गई। टक्कर इतनी ज़ोरदार थी कि कैम्पर पूरी तरह से चकनाचूर हो गया और उसमें सवार सभी लोग गंभीर रूप से फंस गए। मृतकों में प्रसिद्ध वन्यजीव प्रेमी राधेश्याम विश्नोई और उनके साथी शामिल हैं, जो जंगल में हो रहे हिरण शिकार की सूचना मिलने के बाद वहां जा रहे थे।

लाठी थाना प्रभारी राजेंद्र खदाव ने जानकारी दी कि हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंची और राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। स्थानीय लोगों की मदद से पुलिस ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और क्रेन की सहायता से क्षतिग्रस्त कैम्पर वाहन में फंसे शवों को बाहर निकाला। सभी मृतकों को एम्बुलेंस द्वारा पोकरण अस्पताल भेजा गया। पुलिस मामले की विस्तृत जांच में जुट गई है।


हिरण शिकार की सूचना पर निकले थे राधेश्याम विश्नोई और टीम

मिली जानकारी के अनुसार, राधेश्याम विश्नोई को लाठी इलाके के जंगलों में हिरण शिकार की सूचना मिली थी। इस पर वे वन विभाग के कर्मचारी सुरेंद्र चौधरी, साथी श्याम प्रसाद पुत्र बगदूराम विश्नोई और कवराज सिंह भादरिया के साथ जंगल की ओर रवाना हुए थे। रास्ते में गैस एजेंसी के पास उनकी कैम्पर सामने से आ रहे एक ट्रक से भीषण रूप से टकरा गई। चारों व्यक्तियों की मौके पर ही मौत हो गई।


स्थानीय विधायकों ने जताया शोक

इस हृदयविदारक घटना पर जैसलमेर और पोकरण के जनप्रतिनिधियों ने दुख व्यक्त किया है। जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी ने फेसबुक पर पोस्ट कर मृतकों को श्रद्धांजलि दी और परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की। वहीं, पोकरण विधायक महंत प्रताप पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और हादसे पर गहरा दुख प्रकट किया।

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राधेश्याम विश्नोई को मिले थे कई पुरस्कार और सम्मान

गौरतलब है कि राधेश्याम विश्नोई जैसलमेर जिले में एक जाना-पहचाना नाम थे। वे वर्षों से वन्यजीव संरक्षण के लिए काम कर रहे थे। उनके कार्यों को देखते हुए जिला प्रशासन और कई वन्यजीव संरक्षण संस्थाओं द्वारा उन्हें कई बार सम्मानित किया गया था। उन्होंने न सिर्फ हिरणों के संरक्षण में योगदान दिया, बल्कि पर्यावरण जागरूकता बढ़ाने के लिए भी काम किया। उनके आकस्मिक निधन से उनके अनुयायियों और पूरे जिले में गहरा शोक व्याप्त है।

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