नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को अपनी फंडिंग के तरीकों में बदलाव करने की जरूरत है। विशेषज्ञों ने यह बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि देशों को पैसा देने की शर्तों पर भी विचार करना चाहिए। यह बात पाकिस्तान को भारत के साथ चल रहे संघर्ष के बीच नए लोन मिलने के एक दिन बाद कही गई।इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक विशेषज्ञों ने कहा कि आईएमएफ को अब यह देखना चाहिए कि पाकिस्तान को बार-बार बेलआउट देने से फायदा क्यों नहीं हुआ। उन्हें यह भी देखना चाहिए कि क्या पाकिस्तान को बार-बार आईएमएफ से इतनी उदारता मिलनी चाहिए। उन्होंने बताया कि भारतीय अधिकारियों को आईएमएफ के कर्मचारियों के साथ बातचीत बढ़ानी चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पाकिस्तान को दिया जाने वाला पैसा युद्ध या आतंकवाद के लिए इस्तेमाल न हो। भारत ने पहले ही इस बारे में चिंता जताई है। पैसे से साथ शर्तेंराष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) के पूर्व अध्यक्ष प्रोनाब सेन ने कहा कि आईएमएफ किसी देश को जो पैसा देता है, उसके साथ कुछ शर्तें जुड़ी होती हैं। जब कोई देश उन शर्तों को पूरा करता है तो बेलआउट कार्यक्रम की नई किस्त जारी की जाती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत पाकिस्तान को आईएमएफ की फंडिंग का विरोध करता रहेगा।सेन ने आगे कहा कि आईएमएफ में अमेरिका की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए पाकिस्तान को बेलआउट मिलता रहेगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अमेरिकी प्रशासन आने वाले सालों में इस्लामाबाद को कैसे देखता है - अमेरिका का दोस्त या चीन का। सुधार का सही समयमद्रास स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निदेशक एनआर भानुमूर्ति ने कहा कि आईएमएफ को फंड देने के तरीकों में सुधार शुरू करने का यह सही समय है। उन्होंने कहा कि इसे शर्तों और देशों के लिए बेलआउट कार्यक्रमों की प्रभावशीलता की पूरी समीक्षा करनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि इसे आईएमएफ और अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार का हिस्सा बनाया जा सकता है, जिस पर साल 2023 में भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान बात हुई थी। खूब पैसा मिला पाकिस्तान कोभारत ने आईएमएफ को बताया है कि पाकिस्तान को 1989 से 35 सालों में से 28 सालों में आईएमएफ से पैसा मिला है। पिछले पांच सालों में, इसे सहारा देने के लिए चार आईएमएफ कार्यक्रम हुए हैं।आईएमएफ बोर्ड की बैठक शुक्रवार को वाशिंगटन डीसी में हुई। इसमें पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर का एक विस्तारित फंड सुविधा ऋण कार्यक्रम मंजूर किया गया। इसने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 1.4 बिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन भी मंजूर की। भारत ने नहीं की थी वोटिंगभारत ने बोर्ड की बैठक में वोटिंग नहीं की। उसने ऐसे बेलआउट की प्रभावशीलता पर चिंता जताई और राज्य-प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के लिए धन के दुरुपयोग की संभावना को लेकर सवाल उठाए। आईएमएफ में किसी प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने का कोई नियम नहीं है। कोई देश या तो पक्ष में वोट कर सकता है या वोटिंग से दूर रह सकता है।
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