Benefits in Canada: अमेरिका में H-1B वीजा हमेशा से ही विवादों में रहा है। हाल ही में इसकी फीस बढ़ाकर एक लाख डॉलर भी कर दी गई है। इस बीच एक टेक वर्कर ने बताया कि किस तरह उसने H-1B वीजा की नौकरी छोड़कर कनाडा जाने का फैसला लिया और ये उसके जीवन का सबसे अच्छा निर्णय साबित हुआ है। उसने बताया कि उसे H-1B वीजा पर सिर्फ टेंशन मिल रही थी। कनाडा आने के बाद सेहत में भी सुधार हुआ है। ये पोस्ट ऐसे समय पर आई है, जब अमेरिका के विकल्प की बात हो रही है।
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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर टेक वर्कर ने एक पोस्ट किया, जिसका टाइटल 'H1B पर 6 साल बिताने के बाद अमेरिका छोड़कर कनाडा जाने का अपना अनुभव साझा कर रहा हूं' था। टेक वर्कर ने लिखा, 'H-1B खबरों के बीच मैं अपनी कहानी बताना चाहता हूं। मैं एक चीनी नागरिक हूं, जो अमेरिका में 8 साल रहा। इसमें से 6 साल H-1B वीजा पर जॉब के थे। मैं कैलिफोर्निया में एक बड़ी टेक कंपनी में जॉब कर रहा था। हालांकि, फिर मैंने यहां से जॉब छोड़ दी और कनाडा में नौकरी के लिए चला गया।'
ग्रीन कार्ड मिलने से पहले छोड़ा अमेरिका
टेक वर्कर ने बताया कि उसे एक साल पहले ही एक्सप्रेस एंट्री के जरिए कनाडा की परमानेंट रेजिडेंसी (PR) मिली है। उसने कहा, 'मेरे जीवन का सबसे कठिन फैसला था। मेरी जॉब अच्छी थी, सैलरी भी ठीक थी और 1 से 3 साल में मुझे ग्रीन कार्ड भी मिल जाता। जब मैंने ये सब छोड़कर कनाडा जाने का फैसला किया, तो मेरे दोस्तों और परिवार के लोगों ने मुझे पागल समझा, क्योंकि मैं इतना करीब आने के बाद ग्रीन कार्ड छोड़ रहा था।' बता दें कि ग्रीन कार्ड के जरिए अमेरिका में परमानेंट रेजिडेंसी मिलती है।
रेडिट पोस्ट में टेक वर्कर ने बताया कि उसकी सेहत पर असर पड़ रहा था। वह सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग से इतर कुछ करना चाहता था, लेकिन H-1B वीजा की वजह से वह कंपनी नहीं बदल सकता था। उसका ग्रीन कार्ड आवेदन भी खतरे में पड़ जाता। उसने कहा, 'मैं जानता हूं कि ग्रीन कार्ड के काफी फायदे हैं, लेकिन मुझे लगा कि मैं इसे सिर्फ इसलिए पाना चाहता हूं, क्योंकि मैंने यहां कई साल निवेश किए हैं। ऊपर से लोग इसकी कीमत भी समझाते थे। मुझे लगा कि वो सारे वर्ष सिर्फ बर्बाद हो रहे हैं।'
H-1B ने दी सिर्फ टेंशन
टेक वर्कर ने कहा, 'मैंने खुद से पूछा कि क्या मैं सच में ग्रीन कार्ड चाहता हूं? इसका जवाब था कि कनाडाई पीआर मुझे वो सब कुछ देगा, जो मुझे चाहिए। हां अमेरिका में टेक वर्कर्स की सैलरी कनाडा के मुकाबले ज्यादा है। मेरे लिए अच्छी सैलरी वाली जॉब छोड़ना मुश्किल था।' उसने आगे बताया, 'टोरंटो आने के तीन महीने बाद ही मेरी क्वालिटी ऑफ लाइफ सुधर गई। मुझे अंदाजा नहीं था कि H-1B वीजा मुझे कितनी टेंशन दे रहा था, जो अब जा चुका था। अब मेरी सेहत भी सुधर रही है।'
उसने बताया कि वह H-1B वीजा की वजह से चीन भी नहीं जा रहा था। लेकिन कनाडा आने के बाद वह अपने परिवार से मिल पाया। अब वह जहां चाहें ट्रैवल कर सकता है। उसने कहा कि बहुत से लोगों के लिए कनाडा का पीआर ऑप्शन नहीं है। लेकिन अगर आपको कनाडा की नागरिकता मिल जाती है, तो फिर आप TN वीजा पर अमेरिका में दोबारा जाकर काम कर सकते हैं। H-1B के मुकाबले TN वीजा ज्यादा अच्छा ऑप्शन भी है। उसने कहा कि सिर्फ H-1B पर निर्भर रहना ठीक नहीं है।
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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर टेक वर्कर ने एक पोस्ट किया, जिसका टाइटल 'H1B पर 6 साल बिताने के बाद अमेरिका छोड़कर कनाडा जाने का अपना अनुभव साझा कर रहा हूं' था। टेक वर्कर ने लिखा, 'H-1B खबरों के बीच मैं अपनी कहानी बताना चाहता हूं। मैं एक चीनी नागरिक हूं, जो अमेरिका में 8 साल रहा। इसमें से 6 साल H-1B वीजा पर जॉब के थे। मैं कैलिफोर्निया में एक बड़ी टेक कंपनी में जॉब कर रहा था। हालांकि, फिर मैंने यहां से जॉब छोड़ दी और कनाडा में नौकरी के लिए चला गया।'
ग्रीन कार्ड मिलने से पहले छोड़ा अमेरिका
टेक वर्कर ने बताया कि उसे एक साल पहले ही एक्सप्रेस एंट्री के जरिए कनाडा की परमानेंट रेजिडेंसी (PR) मिली है। उसने कहा, 'मेरे जीवन का सबसे कठिन फैसला था। मेरी जॉब अच्छी थी, सैलरी भी ठीक थी और 1 से 3 साल में मुझे ग्रीन कार्ड भी मिल जाता। जब मैंने ये सब छोड़कर कनाडा जाने का फैसला किया, तो मेरे दोस्तों और परिवार के लोगों ने मुझे पागल समझा, क्योंकि मैं इतना करीब आने के बाद ग्रीन कार्ड छोड़ रहा था।' बता दें कि ग्रीन कार्ड के जरिए अमेरिका में परमानेंट रेजिडेंसी मिलती है।
रेडिट पोस्ट में टेक वर्कर ने बताया कि उसकी सेहत पर असर पड़ रहा था। वह सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग से इतर कुछ करना चाहता था, लेकिन H-1B वीजा की वजह से वह कंपनी नहीं बदल सकता था। उसका ग्रीन कार्ड आवेदन भी खतरे में पड़ जाता। उसने कहा, 'मैं जानता हूं कि ग्रीन कार्ड के काफी फायदे हैं, लेकिन मुझे लगा कि मैं इसे सिर्फ इसलिए पाना चाहता हूं, क्योंकि मैंने यहां कई साल निवेश किए हैं। ऊपर से लोग इसकी कीमत भी समझाते थे। मुझे लगा कि वो सारे वर्ष सिर्फ बर्बाद हो रहे हैं।'
H-1B ने दी सिर्फ टेंशन
टेक वर्कर ने कहा, 'मैंने खुद से पूछा कि क्या मैं सच में ग्रीन कार्ड चाहता हूं? इसका जवाब था कि कनाडाई पीआर मुझे वो सब कुछ देगा, जो मुझे चाहिए। हां अमेरिका में टेक वर्कर्स की सैलरी कनाडा के मुकाबले ज्यादा है। मेरे लिए अच्छी सैलरी वाली जॉब छोड़ना मुश्किल था।' उसने आगे बताया, 'टोरंटो आने के तीन महीने बाद ही मेरी क्वालिटी ऑफ लाइफ सुधर गई। मुझे अंदाजा नहीं था कि H-1B वीजा मुझे कितनी टेंशन दे रहा था, जो अब जा चुका था। अब मेरी सेहत भी सुधर रही है।'
उसने बताया कि वह H-1B वीजा की वजह से चीन भी नहीं जा रहा था। लेकिन कनाडा आने के बाद वह अपने परिवार से मिल पाया। अब वह जहां चाहें ट्रैवल कर सकता है। उसने कहा कि बहुत से लोगों के लिए कनाडा का पीआर ऑप्शन नहीं है। लेकिन अगर आपको कनाडा की नागरिकता मिल जाती है, तो फिर आप TN वीजा पर अमेरिका में दोबारा जाकर काम कर सकते हैं। H-1B के मुकाबले TN वीजा ज्यादा अच्छा ऑप्शन भी है। उसने कहा कि सिर्फ H-1B पर निर्भर रहना ठीक नहीं है।
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