बहुत से लोग विदेश में नौकरी पाने के लिए पढ़ते हैं, लेकिन उन्हें भारत में भी विदेशी डिग्री होने का फायदा मिलता है। यहां की कंपनियां भी विदेशों से पढ़कर आए लोगों को अच्छी सैलरी पर रखती हैं। Aaera Consultants की सीईओ रीतिका गुप्ता कहती हैं कि विदेश में पढ़ाई छात्रों को ऐसे सांस्कृतिक और अकेडमिक अनुभव देती हैं, जो उन्हें एक बेहतर प्रोफेशनल बनाता है। उन्होंने विदेश से पढ़कर आए भारतीयों को भारत में मिलने वाले पांच फायदे बताए हैं। आइए इस बारे में जानते हैं।
1. ग्लोबल नजरिया, लोकल फायदे
विदेश में पढ़ने से छात्रों को अलग-अलग संस्कृतियों और पढ़ाई के तरीकों के बारे में जानने को मिलता है। इससे वे दुनिया के स्तर के प्रोफेशनल बन जाते हैं। भारतीय कंपनियां ऐसे लोगों को पसंद करती हैं जिनके पास इंटरनेशनल डिग्री होती है। इसकी वजह ये है कि उनके पास ग्लोबल ज्ञान, अलग-अलग कल्चर में काम करने की क्षमता और मुश्किलों को सुलझाने की अच्छी समझ होती है। चाहे वह अमेरिका की किसी अच्छी यूनिवर्सिटी से MBA हो या यूरोप से STEM की कोई डिग्री, इंटरनेशनल डिग्री भारत के जॉब मार्केट में छात्रों की नौकरी पाने की संभावना को बढ़ा देती है। (Pexels)
2. मार्केट के लिए जरूरी स्किल्स को डेवलप करना

विदेश में पढ़ाई करने के कई फायदे हैं। वहां पढ़ाने के तरीके अलग होते हैं और रिसर्च पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। विदेशी यूनिवर्सिटीज क्रिटिकल थिंकिंग, इनोवेशन और प्रैक्टिकल तरीकों पर जोर देती हैं। इससे छात्र नौकरी के लिए तैयार हो जाते हैं। भारत में जॉब मार्केट बहुत तेजी से बदल रहा है। इसलिए कंपनियां ऐसे लोगों को ढूंढ रही हैं जो ग्लोबल तरीकों को लोकल बिजनेस में शामिल कर सकें। उदाहरण के लिए, टेक कंपनियां, फाइनेंस कंपनियां और कंसल्टिंग कंपनियां ऐसे लोगों को ढूंढती हैं, जिनके पास अमेरिका (डेटा साइंस), ब्रिटेन (फिनटेक) और जर्मनी (सस्टेनेबल एनर्जी) जैसे देशों का ज्ञान और अनुभव हो। वे मानती हैं कि ऐसे लोग ही भारत में उनके बिजनेस को आगे बढ़ा सकते हैं। यह ज्ञान और अनुभव उन्हें भारत के जॉब मार्केट में सबसे अलग बनाता है। (Pexels)
3. बेहतर नेटवर्किंग और करियर के मौके
विदेश में पढ़ने से छात्रों को इंटरनेशनल फैकल्टी, एलुमनाई और इंडस्ट्री के लीडर्स से मिलने का मौका मिलता है। इससे वे एक ग्लोबल प्रोफेशनल नेटवर्क बना सकते हैं। यह नेटवर्क भारत में करियर के मौके ढूंढने में उनकी मदद करता है। बहुत सी मल्टीनेशनल कंपनियां जो भारत में काम करती हैं, ऐसे लोगों को पसंद करती हैं जिनके पास इंटरनेशनल एक्सपीरियंस होता है, क्योंकि उनके पास ग्लोबल मार्केट, ग्रोथ के मौकों और कल्चर के बारे में ज्यादा जानकारी होती है।बहुत से भारतीय छात्र जो विदेश में पढ़ते हैं, उन्हें करियर सर्विस, इंटर्नशिप, करियर कोचिंग, वर्क एक्सपीरियंस और प्रोफेशनल रेफरेंस जैसी सुविधाएं मिलती हैं। इससे उन्हें जॉब मार्केट में आने से पहले ही काफी मदद मिल जाती है। (Pexels)
4. आंत्रन्प्रेन्योर बनने पर सफलता और लीडरशिप स्किल्स

भारत के ज्यादातर सफल आंत्रन्प्रेन्योर और कॉर्पोरेट लीडर्स के पास विदेश में पढ़ाई का एक्सपीरियंस है। ग्लोबल बिजनेस इकोसिस्टम, अलग-अलग कल्चर और एडवांस टेक्नोलॉजी छात्रों को बिजनेस के नए मॉडल के बारे में सोचने पर मजबूर करते हैं। इंटरनेशनल एजुकेशन से लीडरशिप, मुश्किलों से लड़ने की क्षमता और बदलावों को अपनाने की क्षमता मिलती है। ये सभी चीजें भारत जैसे तेजी से बदलते माहौल में सफल होने के लिए जरूरी हैं। (Pexels)
5. सरकारी और पब्लिक सेक्टर की नौकरियों में प्राथमिकता
विदेशी डिग्री उन छात्रों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है जो भारत के पब्लिक सेक्टर में करियर बनाना चाहते हैं। बहुत सी सरकारी एजेंसियां और पॉलिसी थिंक टैंक ऐसे लोगों को पसंद करते हैं जिनके पास इंटरनेशनल गवर्नेंस मॉडल, इकोनॉमिक पॉलिसी और डिप्लोमेटिक रिश्तों के बारे में जानकारी होती है। अमेरिका, ब्रिटेन या कनाडा जैसे देशों से पढ़ाई करने से उन लोगों को बहुत फायदा होता है जो इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस, पॉलिसी रिसर्च या एकेडेमिया में करियर बनाना चाहते हैं। (Pexels)
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