नई दिल्ली: एशिया में निजी संपत्ति साल 2029 तक 99 ट्रिलियन डॉलर (करीब 8800 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने का अनुमान है। लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार कई अमीर परिवार अपनी बढ़ती दौलत को अगली पीढ़ी को सौंपने के लिए तैयार नहीं हैं।
यूओबी प्राइवेट बैंक, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर की ओर से की गई एक रिसर्च में पाया गया कि क्षेत्र के लगभग आधे पहली पीढ़ी के अमीर लोग उत्तराधिकार की योजना सक्रिय रूप से नहीं बना रहे हैं। यानी उनकी अगली पीढ़ी के हाथ में शायद ही कुछ रकम आए। वे अक्सर तभी योजना बनाते हैं जब उन्हें मजबूर किया जाता है। 37% लोग स्वास्थ्य संकट का इंतजार करते हैं और 43% लोग तब कदम उठाते हैं जब व्यापार की परिस्थितियां इसकी मांग करती हैं।
कंपनी को हो सकता है नुकसानयह समस्या सिर्फ पारिवारिक संपत्ति के लिए ही खतरा नहीं है, बल्कि इससे कहीं ज्यादा बड़ा जोखिम है। एशिया की अधिकांश संपत्ति संस्थापक-नेतृत्व वाले व्यवसायों से जुड़ी हुई है। ये व्यवसाय लाखों लोगों को रोजगार देते हैं और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करते हैं।
अगर उत्तराधिकार का हस्तांतरण ठीक से न हो तो संपत्ति कानूनी विवादों में फंस सकती है, पारिवारिक साम्राज्य बिखर सकते हैं और तेजी से बढ़ने वाली कंपनियां अस्थिर हो सकती हैं। इन कंपनियों में अक्सर वे मजबूत शासन संरचनाएं नहीं होतीं जो पश्चिमी देशों के बड़े राजवंशों ने पीढ़ियों से बनाई हैं। ऐसे में सुचारू उत्तराधिकार का ना होना बाजार में उथल-पुथल का कारण भी बन सकता है।
सात एशियाई देशों में हुआ सर्वेइस रिपोर्ट में सात एशियाई देशों के 228 हाई-नेटवर्थ वाले व्यक्तियों का सर्वे किया गया। 46 पारिवारिक व्यवसाय के फाउंडर में से 91% चाहते हैं कि नेतृत्व परिवार के भीतर ही रहे। लेकिन 28% कहते हैं कि उनके उत्तराधिकारी इसमें रुचि नहीं रखते। वहीं 24% का कहना है कि उनके चुने हुए उत्तराधिकारी तैयार नहीं हैं। एक तिहाई से ज्यादा फाउंडर अभी भी धन संबंधी सभी निर्णय अकेले ही लेते हैं और 28% ने अपनी वसीयत किसी को नहीं बताई है। शोधकर्ता चेतावनी देते हैं कि बेहतर उत्तराधिकार योजना के बिना, यह सारी संपत्ति विवादों और खराब हस्तांतरण के कारण खत्म हो सकती है।
यूओबी प्राइवेट बैंक, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर की ओर से की गई एक रिसर्च में पाया गया कि क्षेत्र के लगभग आधे पहली पीढ़ी के अमीर लोग उत्तराधिकार की योजना सक्रिय रूप से नहीं बना रहे हैं। यानी उनकी अगली पीढ़ी के हाथ में शायद ही कुछ रकम आए। वे अक्सर तभी योजना बनाते हैं जब उन्हें मजबूर किया जाता है। 37% लोग स्वास्थ्य संकट का इंतजार करते हैं और 43% लोग तब कदम उठाते हैं जब व्यापार की परिस्थितियां इसकी मांग करती हैं।
कंपनी को हो सकता है नुकसानयह समस्या सिर्फ पारिवारिक संपत्ति के लिए ही खतरा नहीं है, बल्कि इससे कहीं ज्यादा बड़ा जोखिम है। एशिया की अधिकांश संपत्ति संस्थापक-नेतृत्व वाले व्यवसायों से जुड़ी हुई है। ये व्यवसाय लाखों लोगों को रोजगार देते हैं और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करते हैं।
अगर उत्तराधिकार का हस्तांतरण ठीक से न हो तो संपत्ति कानूनी विवादों में फंस सकती है, पारिवारिक साम्राज्य बिखर सकते हैं और तेजी से बढ़ने वाली कंपनियां अस्थिर हो सकती हैं। इन कंपनियों में अक्सर वे मजबूत शासन संरचनाएं नहीं होतीं जो पश्चिमी देशों के बड़े राजवंशों ने पीढ़ियों से बनाई हैं। ऐसे में सुचारू उत्तराधिकार का ना होना बाजार में उथल-पुथल का कारण भी बन सकता है।
सात एशियाई देशों में हुआ सर्वेइस रिपोर्ट में सात एशियाई देशों के 228 हाई-नेटवर्थ वाले व्यक्तियों का सर्वे किया गया। 46 पारिवारिक व्यवसाय के फाउंडर में से 91% चाहते हैं कि नेतृत्व परिवार के भीतर ही रहे। लेकिन 28% कहते हैं कि उनके उत्तराधिकारी इसमें रुचि नहीं रखते। वहीं 24% का कहना है कि उनके चुने हुए उत्तराधिकारी तैयार नहीं हैं। एक तिहाई से ज्यादा फाउंडर अभी भी धन संबंधी सभी निर्णय अकेले ही लेते हैं और 28% ने अपनी वसीयत किसी को नहीं बताई है। शोधकर्ता चेतावनी देते हैं कि बेहतर उत्तराधिकार योजना के बिना, यह सारी संपत्ति विवादों और खराब हस्तांतरण के कारण खत्म हो सकती है।
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