नई दिल्लीः भारत सिंधु नदी के पानी को लेकर एक बड़ा कदम उठाने की सोच रहा है। इससे पाकिस्तान को मिलने वाले पानी में भारी कमी आ सकती है। यह फैसला जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया है। इस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों का हाथ था।हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि (IWT) पर रोक लगा दी। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे को लेकर हुई थी। इस संधि के तहत सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी का इस्तेमाल तय किया गया है। हालांकि, मई की शुरुआत में दोनों देशों के बीच युद्धविराम हो गया था। लेकिन, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिंधु जल संधि अभी भी निलंबित है। भारत अपनी पानी की परियोजनाओं पर काम कर रहा है।जानकारों का कहना है कि बड़ी परियोजनाओं को पूरा होने में सालों लगते हैं। लेकिन, इसका राजनीतिक संदेश और पानी के बहाव पर शुरुआती असर अभी से दिखने लगा है। हालात अभी भी नाजुक हैं। पानी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ सकता है। सिंधु जल संधि क्या है?सिंधु जल संधि 1960 में विश्व बैंक ने करवाई थी। इसके तहत छह नदियों के पानी को भारत और पाकिस्तान के बीच बांटा गया है। भारत को पूर्वी नदियों -सतलुज, ब्यास और रावी - का नियंत्रण मिला है। वहीं, पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों - सिंधु, चिनाब और झेलम - पर अधिकार मिला है। संधि के अनुसार, भारत पश्चिमी नदियों का सीमित इस्तेमाल सिंचाई और बिजली परियोजनाओं के लिए कर सकता है। लेकिन, वह पाकिस्तान को जाने वाले पानी को ज्यादा नहीं रोक सकता। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे, भारत ने संधि का पालन करना बंद कर दिया। भारत का कहना है कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद में शामिल है।विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कर दिया है कि संधि "स्थगित" रहेगी। उनका कहना है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह से नहीं रोकता, तब तक संधि पर कोई बात नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत पाकिस्तान से सिर्फ आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में अवैध रूप से कब्जाए गए क्षेत्रों को वापस करने के मुद्दे पर बात करेगा। कश्मीर या संधि पर फिलहाल कोई बात नहीं होगी। भारत क्या करने वाला है?भारत सिंधु नदी से ज्यादा पानी निकालने की योजना बना रहा है। खास तौर पर चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों पर ध्यान दिया जा रहा है। संधि के तहत इन नदियों का पानी ज्यादातर पाकिस्तान को मिलता है। सबसे अहम परियोजनाओं में से एक चिनाब नदी पर रणबीर नहर का विस्तार है। यह नहर 19वीं सदी में बनी थी और अभी लगभग 60 किलोमीटर लंबी है। इसे 120 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है। इससे भारत की पानी मोड़ने की क्षमता 40 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड से बढ़कर 150 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड हो जाएगी। इससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जाने वाले पानी में भारी कमी आएगी। यह प्रांत खेती के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।इसके अलावा, भारत सिंचाई और बिजली की अन्य परियोजनाओं पर भी विचार कर रहा है। इससे पाकिस्तान को मिलने वाले पानी में और कमी आ सकती है। रॉयटर्स द्वारा देखे गए सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, भारत सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी को उत्तरी भारतीय राज्यों की नदियों में मोड़ने की योजना बना रहा है। इससे पाकिस्तान को जाने वाले पानी में और कमी आएगी। इन परियोजनाओं में बांधों का निर्माण भी शामिल है। इन बांधों में बड़ी मात्रा में पानी जमा किया जा सकता है। संधि के नियमों के तहत भारत ने पहले पश्चिमी नदियों पर ऐसा नहीं किया था। पाकिस्तान पर क्या असर होगा?पाकिस्तान की लगभग 80% खेती और बिजली उत्पादन सिंधु नदी पर निर्भर है। अगर पानी की मात्रा में कमी आती है, तो पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और ऊर्जा आपूर्ति पर बुरा असर पड़ेगा। इस्लामाबाद ने पहले ही सिंधु परियोजनाओं पर भारत के रखरखाव कार्य के बाद एक महत्वपूर्ण बिंदु पर पानी के स्तर में 90% की गिरावट की सूचना दी है। अगर भारत अपनी योजनाओं के साथ आगे बढ़ता है तो उसे कितनी परेशानी हो सकती है।
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