किस गांव में नहीं लगते हैं दुकानों पर ताले

भारत में कई स्थान अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन नागालैंड का खोनोमा गांव अपनी ईमानदारी और भरोसे के लिए खास पहचान रखता है। इस गांव में वर्षों से ऐसी दुकानें हैं जहां कोई दुकानदार नहीं होता। ग्राहक खुद सामान चुनते हैं और उतनी ही राशि ईमानदारी से रखकर चले जाते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इतने सालों में यहां किसी ने चोरी करने की कोशिश तक नहीं की। यही वजह है कि खोनोमा गांव “ईमानदारी का प्रतीक” कहलाता है।
नागालैंड का खोनोमा गांव कहां है?

खोनोमा गांव नागालैंड में स्थित है और यह अपनी ईमानदारी, खूबसूरती और स्वच्छ वातावरण के लिए मशहूर है। यहां के लोग पीढ़ियों से बिना डर और शक के जीवन जीते हैं। दुकानों में सामान के साथ पैसे रखे होते हैं, फिर भी कोई चोरी नहीं करता। गांववाले मानते हैं कि दूसरों का हक छीनना या धोखा देना गलत है। उनकी यही सोच और संस्कार इस गांव को पूरे देश में ईमानदारी का प्रतीक बनाते हैं।
भारत का पहला ग्रीन गांव कहां है?
खोनोमा गांव भारत का पहला ग्रीन विलेज कहलाता है। यहां के लोग पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष प्रयास करते हैं। साफ-सफाई, हरियाली और प्रकृति से प्रेम इस गांव की पहचान है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता और लोगों की ईमानदारी देखने हर साल देश-विदेश से पर्यटक यहां आते हैं।
नहीं हुई यहां कभी चोरी

इस गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां आज तक चोरी या अपराध की कोई घटना दर्ज नहीं हुई है। दुकानों पर सालों से ताले नहीं लगाए जाते, फिर भी सामान सुरक्षित रहता है। लोग जितना सामान लेते हैं, उतना ही पैसा ईमानदारी से छोड़ जाते हैं। यह अनोखी परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और आगे भी कायम है।
कैसे पहुंचे खोनोमा गांव

खोनोमा गांव नागालैंड की राजधानी कोहिमा से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए सबसे पहले आप डिमापुर हवाई अड्डे या रेलवे स्टेशन तक पहुंच सकते हैं, जो नागालैंड का प्रमुख प्रवेश द्वार है। डिमापुर से कोहिमा तक टैक्सी या बस से करीब 3 घंटे का सफर है। कोहिमा से आप स्थानीय टैक्सी या शेयर जीप लेकर आसानी से खोनोमा गांव पहुंच सकते हैं।
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