Next Story
Newszop

Mother's Day Special: आसमां जैसा कलेजा... पति की शहादत के बाद भी बेटे को सरहद पर भेजने वाली इन मां को 'सलाम'

Send Push
सोनिया, गुरुग्राम: अपने जिगर के टुकड़े को आंखों से एक पल के लिए भी दूर न करने वालीं मां तो आपने देखी होंगी! आज मदर्स डे के मौके पर पढ़िए ऐसी मांओं की कहानी, जिनका दिल आसमान से भी बड़ा है। देश सेवा में सरहद पर डटे पति को खोने के बाद भी इन मांओं ने अपने बेटों को बॉर्डर पर भेजा। आसमान जितना बड़ा दिल लेकर बैठीं इन मांओं से सोनिया ने बात की। पति शहीद हुए, बेटे को आर्मी में भेजारिठौज गांव के पदम खटाना आर्मी में हैं। इन दिनों उनकी ड्यूटी पंजाब से सटे पाक बॉर्डर पर है। मां अनिता देवी कहती हैं कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। मां भारती के वीर सपूत हैं। एक मां से दूर रहकर दूसरी मां की सेवा में हैं। हर देशवासी को सुरक्षित महसूस कराते हैं। उन्होंने बताया कि उनके पति की श्रीनगर में पोस्टिंग थी। इस दौरान ऊंची जगह पर सामान भिजवाने में ड्यूटी लगी। ऑक्सिजन नहीं मिल पाने के कारण वह वर्ष 2020 में शहीद हो गए। पति के शहीद हो जाने के बाद मन में डर जरूर था, लेकिन देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा भी था। बेटे पदम खटाना को भी आर्मी में भेजा। अनिता कहती हैं कि मेरा बेटा बॉर्डर पर है तो क्या हुआ! फख्र होता है, जब उस जैसे सैनिकों के कारण देश की हर मां चैन की नींद सो पाती है। एक परिवार के 14 बेटे देश सेवा में डटेकुछ ऐसी ही कहानी कमलेश की है। उनका बेटा सोनू देश की रक्षा में तैनात है। पति के बलिदान के बाद भी बेटे को सेना में भेजने का फैसला मुश्किल था। मन के डर से जीतकर बेटे को आर्मी की तैयारी कराई और सेना में भेजा। कमलेश कहती हैं कि न केवल अपने बेटे पर, बल्कि पूरे परिवार पर गर्व महसूस होता है। उनके पति सूबेदार बलजीत खटाना 2011 में देश के लिए बलिदान दिया। पठानकोट में ड्यूटी के दौरान वह शहीद हो गए थे। इसी तरह रिठौज में एक ही परिवार के 14 बेटे सेना में सेवा दे रहे हैं। परिवार के मुखिया रिटायर्ड सूबेदार तिरखा सिंह की तीसरी पीढ़ी भी देशसेवा कर रही है। तिरखा सिंह का कहना कि उनके बेटे के बाद अब उनके पोते भी आर्मी में हैं। देशभक्ति उनके खून में है और आगे भी देश सेवा करते रहेंगे।
Loving Newspoint? Download the app now