लखनऊ: यातायात नियमों के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाने और सड़कों में सुधार के बावजूद उत्तर प्रदेश में सड़क हादसे कम नहीं हो रहे। प्रदेश में इस साल एक जनवरी से 20 मई तक हुए 13,362 सड़क हादसों में 7,730 लोगों की मौत हो चुकी है। परिवहन आयुक्त ने इन हादसों का समयवार आंकड़ा जारी किया है। इनमें 60 फीसदी हादसे दोपहर 12 बजे से रात नौ बजे के बीच हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, सड़कों पर बेवजह भीड़ और ओवरस्पीडिंग हादसों की सबसे बड़ी वजह हैं।
कैसे रुकेंगी दुर्घटनाएं
- ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग की टीमों को चेकिंग बढ़ानी चाहिए।
- ओवरस्पीडिंग रोकने के लिए इंटरसेप्टर और स्पीड गन का इस्तेमाल हो और चालान किए जाएं।
- सीसीटीवी कैमरों से निगरानी बढ़ाई जाए।
- स्कूल और सरकारी दफ्तर अलग-अलग समय पर खुलें, ताकि ट्रैफिक दबाव कम हो।
- ट्रक चालकों के लिए विश्राम केंद्र बनाए जाएं।
- सड़कों पर साइनेज दुरुस्त करवाए जाएं।
- रात के हादसे ज्यादा घातक।
You may also like
SRH के खिलाफ मैच में RCB की ओर से कौन नंबर तीन पर खेलता हुआ नजर आएगा: आकाश चोपड़ा
निशिकांत दुबे ने कांग्रेस की मंशा पर उठाए सवाल, आरजेडी के मृत्युंजय तिवारी ने दिलाई इंदिरा गांधी की याद
भारतीय सर्फिंग महासंघ ने इंडियन ओपन ऑफ सर्फिंग के छठे संस्करण की घोषणा की
हमें ऑलिव रिडली कछुओं के संरक्षण प्रयासों का समर्थन करने पर गर्व है : करण अदाणी
'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता बताने मास्को पहुंची कनिमोझी, क्योटो में संजय झा ने खोली पाकिस्तान की पोल