नई दिल्ली: लाल किले के पास धमाके के एक दिन बाद मंगलवार (11 नवंबर, 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट (UAPA) के तहत गिरफ्तार दहशतगर्दी के आरोपी को जमानत देने से साफ इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब ऐसे मामलों में स्पष्ट संदेश देना जरूरी है। आरोपी को कथित तौर पर भड़काऊ सामग्री के साथ गिरफ्तार किया गया था और उसने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन, अदालत ने उसपर लगे आरोपों को गंभीर मानते हुए जमानत की याचिका ठुकरा दी।
आरोपी के वकील ने किया धमाके का जिक्र
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने अदालत से कहा, 'कल की घटना के बाद बहस के लिए शायद यह सबसे अच्छी सुबह नहीं है।' आरोपी को कथित रूप से भड़काऊ सामग्रियों के साथ गिरफ्तार किया गया था। वकील उस घटना का जिक्र कर रहे थे, जिसमें सोमवार शाम को लाल किले के पास एक कार में शक्तिशाली धमाका हुआ, जिसमें 12 लोगों की जान चली गई और कई जख्मी हो गए। इस घटना में संदिग्ध फिदायीन हमलावर डॉ. मोहम्मद उमर के भी मारे जाने की सूचना है।
'स्पष्ट संदेश देने के लिए सबसे अच्छी सुबह'
आरोपी के वकील की ओर से ऐसा कहे जाने पर जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने जवाब में कहा, 'स्पष्ट संदेश देने के लिए यह सबसे अच्छी सुबह है।' इस दौरान कोर्ट ने कहा कि आरोपी एक व्हाट्सएप ग्रुप का मेंबर था, जिसमें इस्लामिक स्टेट (IS) की तरह का झंडा था। इस तरह से अदालत ने बचाव पक्ष की इस दलील को नहीं माना कि आरोपी के पास से सिर्फ इस्लामिक साहित्य बरामद हुआ।
'यूएपीए के तहत हिरासत में रखना जरूरी'
बेंच ने साफ कहा कि जो सामग्री मिली है और आरोपी के जो ऑनलाइन कनेक्शन सामने आए हैं, यह देखते हुए उसे कड़े आतंकवाद विरोधी कानून ( UAPA) के तहत हिरासत में रखना आवश्यक है। कोर्ट ने यह तब कहा है, जब पूरा देश दिल्ली में हुए संदिग्ध आतंकी धमाके को लेकर स्तब्ध है।
आरोपी के वकील ने किया धमाके का जिक्र
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने अदालत से कहा, 'कल की घटना के बाद बहस के लिए शायद यह सबसे अच्छी सुबह नहीं है।' आरोपी को कथित रूप से भड़काऊ सामग्रियों के साथ गिरफ्तार किया गया था। वकील उस घटना का जिक्र कर रहे थे, जिसमें सोमवार शाम को लाल किले के पास एक कार में शक्तिशाली धमाका हुआ, जिसमें 12 लोगों की जान चली गई और कई जख्मी हो गए। इस घटना में संदिग्ध फिदायीन हमलावर डॉ. मोहम्मद उमर के भी मारे जाने की सूचना है।
'स्पष्ट संदेश देने के लिए सबसे अच्छी सुबह'
आरोपी के वकील की ओर से ऐसा कहे जाने पर जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने जवाब में कहा, 'स्पष्ट संदेश देने के लिए यह सबसे अच्छी सुबह है।' इस दौरान कोर्ट ने कहा कि आरोपी एक व्हाट्सएप ग्रुप का मेंबर था, जिसमें इस्लामिक स्टेट (IS) की तरह का झंडा था। इस तरह से अदालत ने बचाव पक्ष की इस दलील को नहीं माना कि आरोपी के पास से सिर्फ इस्लामिक साहित्य बरामद हुआ।
'यूएपीए के तहत हिरासत में रखना जरूरी'
बेंच ने साफ कहा कि जो सामग्री मिली है और आरोपी के जो ऑनलाइन कनेक्शन सामने आए हैं, यह देखते हुए उसे कड़े आतंकवाद विरोधी कानून ( UAPA) के तहत हिरासत में रखना आवश्यक है। कोर्ट ने यह तब कहा है, जब पूरा देश दिल्ली में हुए संदिग्ध आतंकी धमाके को लेकर स्तब्ध है।
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