नई दिल्ली: दूसरी बार मां बनीं भारत की चर्चित बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने हाल ही में करीब 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क डोनेट किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा-मां के दूध से जीवन बचता है। प्रीमेच्योर और बीमार बच्चों के लिए डोनर मिल्क जीवनरक्षक बन सकता है। अगर आप डोनेट कर सकती हैं तो आप किसी जरूरतमंद परिवार के लिए हीरो बन सकती हैं। इस बारे में अधिक जानकारी लें और मिल्क बैंक की मदद करें। उन्होंने ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करने को लेकर तस्वीरें भी शेयर की हैं और अन्य महिलाओं को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया है। भारत दुनिया के उन देशों में शुमार है, जहां बच्चे के जन्म के पहले छह महीने में ब्रेस्ट फीडिंग की दर काफी कम है, जबकि मां का दूध बच्चों के लिए जीवनरक्षक माना जाता है। ब्रेस्ट मिल्क को लिक्विड गोल्ड कहा जाता है। कुछ एक्सपर्ट्स तो इसे 'मैजिकल पावर्स' का सोर्स भी कहते हैं। माना जाता है कि पूरी दुनिया में 750 से ज्यादा मानव मिल्क बैंक हैं।
किन लोगों को जरूरत पड़ती है ब्रेस्ट मिल्क की
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, डोनेट किए गए ब्रेस्ट मिल्क की जरूरत ऐसे नवजात बच्चों के लिए पड़ती है जो समय से पहले पैदा होते हैं या जिनमें जन्म के समय वजन कम होता है। जन्म के समय मां को खो देने वाले नवजात बच्चों के लिए भी डोनेट किए गए ब्रेस्ट मिल्क की जरूरत पड़ती है। डोनेट किए गए ब्रेस्ट मिल्क को मिल्क बैंक में एक तय तापमान पर रखा जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सके।
80 बेड पर नवजातों को 15 लीटर दूध की जरूरत
बच्चों को दूध पिलाने वाली माएं ऐसे डोनेशन बैंक में जाकर अतिरिक्त ब्रेस्ट मिल्क को डोनेट कर सकती हैं। इसके अलावा तय नियमों का पालन करते हुए इसे ब्रेस्ट मिल्क बैंक में रखने के लिए भेजा जा सकता है। इंटरनेशनल ब्रेस्टफ़ीडिंग जर्नल में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक भारत में कोविड महामारी के दौरान डोनेट किए जाने वाले ब्रेस्ट मिल्क जुटाया गया था। इस लेख के मुताबिक़ 80 बेड के एक NICU (न्यूनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) के लिए एक महीने में औसतन 15 लीटर दूध की जरूरत पड़ती है। एक और रिपोर्ट के मुताबिक, त्रिची के महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल में जुलाई 2025 में बच्चों को दूध पिलाने वाली 639 महिलाओं ने कुल 192 लीटर मिल्क डोनेट किया जिससे एनआईसीयू में भर्ती 634 नवजात बच्चों को फायदा हुआ।
पहला मानव मिल्क बैंक 1989 में मुंबई में बना
भारत में पहला ह्यूमन मिल्क बैंक साल 1989 में मुंबई के लोकमान्य तिलक अस्पताल में बना था। साल 2019 तक भारत में सिर्फ 22 ह्यमन मिल्क बैंक संचालित थे जबकि साल 2025 तक ये आंकड़ा 100 के पार जा पहुंचा है। वैज्ञानिक इस बात से सहमत हैं कि ब्रेस्ट मिल्क नवजात शिशुओं की ग्रोथ के लिए जरूरी है, क्योंकि इससे बच्चों को जरूरी न्यूट्रिशयन और एंटीबॉडी मिलते हैं।
वयस्कों को इसे इस्तेमाल करने पर अभी रिसर्च नहीं
बीबीसी की एक रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन डिएगो में ह्यूमन मिल्क इंस्टीट्यूट के फाउंडिंग डायरेक्टर डॉक्टर लार्स बोड के हवाले से कहा गया है कि ब्रेस्ट मिल्क में बहुत सारा प्रोटीन होता है। इससे बच्चे की मसल्स तेजी से बढ़ती हैं। बॉडीबिल्डर भी ऐसा ही चाहते हैं। बॉडीबिल्डर अपने शरीर को लेकर काफी सजग होते हैं। हालांकि, डॉक्टर बोड इसे लेकर अभी सावधानी बरतने की सलाह देते हैं क्योंकि ह्यूमन मिल्क अक्सर ऐसे ऑनलाइन सोर्स से खरीदा जाता है जो कि संदिग्ध होते हैं। वयस्कों को फायदे को लेकर अभी इस पर रिसर्च नहीं की गई है।
पूरी तरह बीमारी मुक्त नहीं है मानव मिल्क
डॉ बोड ने चेतावनी देते हुए कहा है कि मानव मिल्क को टेस्ट नहीं किया गया है और इससे हेल्थ को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। यह एचआईवी या हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों का वाहक हो सकता है। ब्रेस्ट मिल्क भी उतना ही अच्छा होता है व्यक्ति का आहार और सामान्य स्वास्थ्य। ये अनेक संक्रमणों का वाहक हो सकता है। महिलाएं ऐसे वातावरण में ब्रेस्टफीडिंग करती हैं जो कि पूरी तरह से बीमारी मुक्त नहीं होता है, इसलिए मिल्क के भी संक्रमित होने का खतरा रहता है। अमेरिका में नेशनवाइड चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल की 2015 में की गई एक स्टडी में मालूम चला कि ऑनलाइन खरीदे गए ब्रेस्ट मिल्क के 101 नमूनों में से 75% में हानिकारक रोगाणु मौजूद थे।
पिद्दी से देश इस मामले में बने सबसे अमीर
worldpopulationreview.com पर छपी रिपोर्ट के अनुसार, आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ब्रेस्ट फीडिंग के मामले में पूरी दुनिया में सबसे आगे छोटे-मोटे देश हैं, जो बेहद गरीब हैं। वो बच्चों को पहले छह महीने तक दूध पिलाने के मामले में दुनिया में सबसे 'अमीर' हैं। वहीं, अमेरिका-चीन, तुर्की, भारत-पाकिस्तान जैसे देश इस मामले में 'गरीब' हैं।
अमेरिका-चीन जैसे देश तो बेहद गरीब
worldpopulationreview.com के अनुसार, नवजातों को ब्रेस्ट फीडिंग कराने के मामले में सबसे आगे श्रीलंका, फिर रवांडा, सोलोमन आईलैंड, वनुआतू, बुरूंडी, उत्तर कोरिया, समोआ जैसे देश हैं। यहां पर 70 से लेकर 80 फीसदी तक ब्रेस्ट फीडिंग रेट है। वहीं, इस मामले में अमेरिका 25 फीसदी के साथ काफी नीचे है। जबकि चीन में यह 20 फीसदी है। भारत में यह 58 फीसदी और तुर्की में 47 फीसदी है।
11 साल में 11000 लीटर ब्रेस्ट मिल्क डोनेट कर चुकी है ये महिला
दुनिया में सबसे ज्यादा ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करने का रिकॉर्ड अमेरिका की एलिजाबेथ एंडरसन सिएरा के नाम है। 2023 में सिएरा ने 20 फरवरी, 2015 से 20 जून, 2018 की अवधि के दौरान मानव दूध बैंक को 1,599.68 लीटर ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करके सबसे बड़े व्यक्तिगत ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। वह 2014 से 10,350 लीटर ब्रेस्ट मिल्क डोनेट कर चुकी हैं।
किन लोगों को जरूरत पड़ती है ब्रेस्ट मिल्क की
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, डोनेट किए गए ब्रेस्ट मिल्क की जरूरत ऐसे नवजात बच्चों के लिए पड़ती है जो समय से पहले पैदा होते हैं या जिनमें जन्म के समय वजन कम होता है। जन्म के समय मां को खो देने वाले नवजात बच्चों के लिए भी डोनेट किए गए ब्रेस्ट मिल्क की जरूरत पड़ती है। डोनेट किए गए ब्रेस्ट मिल्क को मिल्क बैंक में एक तय तापमान पर रखा जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सके।
80 बेड पर नवजातों को 15 लीटर दूध की जरूरत
बच्चों को दूध पिलाने वाली माएं ऐसे डोनेशन बैंक में जाकर अतिरिक्त ब्रेस्ट मिल्क को डोनेट कर सकती हैं। इसके अलावा तय नियमों का पालन करते हुए इसे ब्रेस्ट मिल्क बैंक में रखने के लिए भेजा जा सकता है। इंटरनेशनल ब्रेस्टफ़ीडिंग जर्नल में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक भारत में कोविड महामारी के दौरान डोनेट किए जाने वाले ब्रेस्ट मिल्क जुटाया गया था। इस लेख के मुताबिक़ 80 बेड के एक NICU (न्यूनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) के लिए एक महीने में औसतन 15 लीटर दूध की जरूरत पड़ती है। एक और रिपोर्ट के मुताबिक, त्रिची के महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल में जुलाई 2025 में बच्चों को दूध पिलाने वाली 639 महिलाओं ने कुल 192 लीटर मिल्क डोनेट किया जिससे एनआईसीयू में भर्ती 634 नवजात बच्चों को फायदा हुआ।
पहला मानव मिल्क बैंक 1989 में मुंबई में बना
भारत में पहला ह्यूमन मिल्क बैंक साल 1989 में मुंबई के लोकमान्य तिलक अस्पताल में बना था। साल 2019 तक भारत में सिर्फ 22 ह्यमन मिल्क बैंक संचालित थे जबकि साल 2025 तक ये आंकड़ा 100 के पार जा पहुंचा है। वैज्ञानिक इस बात से सहमत हैं कि ब्रेस्ट मिल्क नवजात शिशुओं की ग्रोथ के लिए जरूरी है, क्योंकि इससे बच्चों को जरूरी न्यूट्रिशयन और एंटीबॉडी मिलते हैं।
वयस्कों को इसे इस्तेमाल करने पर अभी रिसर्च नहीं
बीबीसी की एक रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन डिएगो में ह्यूमन मिल्क इंस्टीट्यूट के फाउंडिंग डायरेक्टर डॉक्टर लार्स बोड के हवाले से कहा गया है कि ब्रेस्ट मिल्क में बहुत सारा प्रोटीन होता है। इससे बच्चे की मसल्स तेजी से बढ़ती हैं। बॉडीबिल्डर भी ऐसा ही चाहते हैं। बॉडीबिल्डर अपने शरीर को लेकर काफी सजग होते हैं। हालांकि, डॉक्टर बोड इसे लेकर अभी सावधानी बरतने की सलाह देते हैं क्योंकि ह्यूमन मिल्क अक्सर ऐसे ऑनलाइन सोर्स से खरीदा जाता है जो कि संदिग्ध होते हैं। वयस्कों को फायदे को लेकर अभी इस पर रिसर्च नहीं की गई है।
पूरी तरह बीमारी मुक्त नहीं है मानव मिल्क
डॉ बोड ने चेतावनी देते हुए कहा है कि मानव मिल्क को टेस्ट नहीं किया गया है और इससे हेल्थ को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। यह एचआईवी या हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों का वाहक हो सकता है। ब्रेस्ट मिल्क भी उतना ही अच्छा होता है व्यक्ति का आहार और सामान्य स्वास्थ्य। ये अनेक संक्रमणों का वाहक हो सकता है। महिलाएं ऐसे वातावरण में ब्रेस्टफीडिंग करती हैं जो कि पूरी तरह से बीमारी मुक्त नहीं होता है, इसलिए मिल्क के भी संक्रमित होने का खतरा रहता है। अमेरिका में नेशनवाइड चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल की 2015 में की गई एक स्टडी में मालूम चला कि ऑनलाइन खरीदे गए ब्रेस्ट मिल्क के 101 नमूनों में से 75% में हानिकारक रोगाणु मौजूद थे।
पिद्दी से देश इस मामले में बने सबसे अमीर
worldpopulationreview.com पर छपी रिपोर्ट के अनुसार, आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ब्रेस्ट फीडिंग के मामले में पूरी दुनिया में सबसे आगे छोटे-मोटे देश हैं, जो बेहद गरीब हैं। वो बच्चों को पहले छह महीने तक दूध पिलाने के मामले में दुनिया में सबसे 'अमीर' हैं। वहीं, अमेरिका-चीन, तुर्की, भारत-पाकिस्तान जैसे देश इस मामले में 'गरीब' हैं।
अमेरिका-चीन जैसे देश तो बेहद गरीब
worldpopulationreview.com के अनुसार, नवजातों को ब्रेस्ट फीडिंग कराने के मामले में सबसे आगे श्रीलंका, फिर रवांडा, सोलोमन आईलैंड, वनुआतू, बुरूंडी, उत्तर कोरिया, समोआ जैसे देश हैं। यहां पर 70 से लेकर 80 फीसदी तक ब्रेस्ट फीडिंग रेट है। वहीं, इस मामले में अमेरिका 25 फीसदी के साथ काफी नीचे है। जबकि चीन में यह 20 फीसदी है। भारत में यह 58 फीसदी और तुर्की में 47 फीसदी है।
11 साल में 11000 लीटर ब्रेस्ट मिल्क डोनेट कर चुकी है ये महिला
दुनिया में सबसे ज्यादा ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करने का रिकॉर्ड अमेरिका की एलिजाबेथ एंडरसन सिएरा के नाम है। 2023 में सिएरा ने 20 फरवरी, 2015 से 20 जून, 2018 की अवधि के दौरान मानव दूध बैंक को 1,599.68 लीटर ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करके सबसे बड़े व्यक्तिगत ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। वह 2014 से 10,350 लीटर ब्रेस्ट मिल्क डोनेट कर चुकी हैं।
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