उमरिया: ईश्वर भक्ति के कई रंग-रूप देखने को मिलते हैं। छत्तीसगढ़ के एक 23 वर्षीय युवक ने अपनी अनूठी आस्था से सबको चौंका दिया है। शक्ति जिले के भदरा पाली गांव का रहने वाले नितीश कुमार सिहार अपने आराध्य 'खाटू श्यामजी' के दर्शन की आस लिए अकेले ही 1500 किलोमीटर की पदयात्रा पर निकल पड़े। बीते रोज वे उमरिया पहुंचे थे।
नितीश कुमार सिहार ने 15 दिन पहले यह यात्रा शुरू की थी। अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए नितीश ने बताया कि मैं पढ़ाई करता हैं, और मन में आया कि खाटू श्यामजी के दर्शन करने चलते हैं। उन्होंने इस कठिन यात्रा को पैदल चुनने का कारण भी बताया कि ट्रेन से तो सभी लोग जाते हैं, हम क्यों न पैदल चलें?
दिल में मन्नत, कंधे पर बाबा का 'ध्वज निशान'
नितीश ने बताया कि उनके दिल में एक खास मन्नत है, जिसे लेकर वह चल दिए हैं। उनके हाथ में खाटू श्याम का ध्वज निशान है, जो उनकी अटूट आस्था का प्रतीक है। लगभग 1000 किलोमीटर की यात्रा अभी बाकी है, लेकिन उनकी भक्ति में कोई कमी नहीं आई है।
जो मिला वह खा लिया, जहां जगह मिली सो लिए
इस अनूठे भक्त को यात्रा में किसी चीज़ की चिंता नहीं है। उनकी सादगी देखिए, नितीश कहते हैं किसी ने दे दिया तो खा लिया और कोई सोने की जगह दे देता है तो सो लेते हैं। उनका एकमात्र जूनून यह है कि जल्द से जल्द अपने श्रीश्याम बाबा के दर्शन कर सकें।
'मेरा काम भक्ति, बाकी सब जाने श्याम जाने'
फिलहाल नितीश कुमार सिहार ने यात्रा के दौरान एक गौसेवा संस्थान के पास रात्रि विश्राम किया है। अपनी इस भक्ति यात्रा का अंतिम परिणाम उन्होंने पूरी तरह अपने इष्ट पर छोड़ दिया है, वे कहते हैं कि वे भक्ति कर रहे हैं, बाकी सब श्याम बाबा जाने...।
नितीश कुमार सिहार ने 15 दिन पहले यह यात्रा शुरू की थी। अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए नितीश ने बताया कि मैं पढ़ाई करता हैं, और मन में आया कि खाटू श्यामजी के दर्शन करने चलते हैं। उन्होंने इस कठिन यात्रा को पैदल चुनने का कारण भी बताया कि ट्रेन से तो सभी लोग जाते हैं, हम क्यों न पैदल चलें?
दिल में मन्नत, कंधे पर बाबा का 'ध्वज निशान'
नितीश ने बताया कि उनके दिल में एक खास मन्नत है, जिसे लेकर वह चल दिए हैं। उनके हाथ में खाटू श्याम का ध्वज निशान है, जो उनकी अटूट आस्था का प्रतीक है। लगभग 1000 किलोमीटर की यात्रा अभी बाकी है, लेकिन उनकी भक्ति में कोई कमी नहीं आई है।
जो मिला वह खा लिया, जहां जगह मिली सो लिए
इस अनूठे भक्त को यात्रा में किसी चीज़ की चिंता नहीं है। उनकी सादगी देखिए, नितीश कहते हैं किसी ने दे दिया तो खा लिया और कोई सोने की जगह दे देता है तो सो लेते हैं। उनका एकमात्र जूनून यह है कि जल्द से जल्द अपने श्रीश्याम बाबा के दर्शन कर सकें।
'मेरा काम भक्ति, बाकी सब जाने श्याम जाने'
फिलहाल नितीश कुमार सिहार ने यात्रा के दौरान एक गौसेवा संस्थान के पास रात्रि विश्राम किया है। अपनी इस भक्ति यात्रा का अंतिम परिणाम उन्होंने पूरी तरह अपने इष्ट पर छोड़ दिया है, वे कहते हैं कि वे भक्ति कर रहे हैं, बाकी सब श्याम बाबा जाने...।