मुंबई: मालेगांव ब्लास्ट केस में मुंबई की एनआईए कोर्ट ने 17 साल बाद गुरुवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले में आरोपी कर्नल पुरोहित समेत छह अन्य को बरी कर दिया। केस में बरी होने के बाद कर्नल श्रीकांत पुरोहित ने अपना पहला सार्वजनिक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मैं एक सच्चा देशभक्त सैनिक हूं, मेरे लिए देश हमेशा सर्वोपरि रहा है। कर्नल पुरोहित ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने अपनी ताकत और पद का गलत इस्तेमाल करते हुए उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाया। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई उनके और उनके परिवार के लिए मानसिक, सामाजिक और पेशेवर रूप से बहुत कठिन रही, लेकिन न्याय पर उनका विश्वास अटूट रहा।
कब हुआ था मालेगांव बम धमाका
मालेगांव बम धमाका 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे। इस केस में कर्नल पुरोहित पर साजिश, आतंकवाद और देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप लगे थे। लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रिया और गहन जांच के बाद, अदालत ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। कर्नल पुरोहित करीब 9 साल जेल में रहे। उन्होंने कहा कि जेल में रहते हुए भी मैंने हर दिन प्रार्थना की कि देश मजबूत हो और मेरे जैसे निर्दोषों को इंसाफ मिले।
खूब हुआ था बवाल
मालेगांव ब्लास्ट ने पूरे देश की राजनीति में सियासी बवंडर खड़ा कर दिया गया था। मुंबई से 291 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मालेगांव इसके बाद तमाम केंद्रीय जांच एजेंसियों और महाराष्ट्र एटीएस के लिए जांच स्थल बन गया था। यह पहला मामला था जब किसी ब्लास्ट के मामले में हिंदुओं को आरोपी बनाया गया था। मालेगांव ब्लास्ट केस की सुनवाई अप्रैल, 2025 में पूरी कर ली गई थी। इसके बाद कोर्ट के द्वारा फैसला सुनाए जाने का इंतजार हो रहा था। कोर्ट के फैसला सुनाने में इसलिए देरी हुई क्योंकि मामले में एक लाख से अधिक पन्नों के सबूत और दस्तावेज थे। ऐसे में कोर्ट को फैसला सुनाने से पहले सभी रिकॉर्ड की जांच के लिए अतिरिक्त समय चाहिए था।
कब हुआ था मालेगांव बम धमाका
मालेगांव बम धमाका 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे। इस केस में कर्नल पुरोहित पर साजिश, आतंकवाद और देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप लगे थे। लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रिया और गहन जांच के बाद, अदालत ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। कर्नल पुरोहित करीब 9 साल जेल में रहे। उन्होंने कहा कि जेल में रहते हुए भी मैंने हर दिन प्रार्थना की कि देश मजबूत हो और मेरे जैसे निर्दोषों को इंसाफ मिले।
खूब हुआ था बवाल
मालेगांव ब्लास्ट ने पूरे देश की राजनीति में सियासी बवंडर खड़ा कर दिया गया था। मुंबई से 291 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मालेगांव इसके बाद तमाम केंद्रीय जांच एजेंसियों और महाराष्ट्र एटीएस के लिए जांच स्थल बन गया था। यह पहला मामला था जब किसी ब्लास्ट के मामले में हिंदुओं को आरोपी बनाया गया था। मालेगांव ब्लास्ट केस की सुनवाई अप्रैल, 2025 में पूरी कर ली गई थी। इसके बाद कोर्ट के द्वारा फैसला सुनाए जाने का इंतजार हो रहा था। कोर्ट के फैसला सुनाने में इसलिए देरी हुई क्योंकि मामले में एक लाख से अधिक पन्नों के सबूत और दस्तावेज थे। ऐसे में कोर्ट को फैसला सुनाने से पहले सभी रिकॉर्ड की जांच के लिए अतिरिक्त समय चाहिए था।
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