नई दिल्लीः AIIMS ऋषिकेश की स्टडी में पता चला कि घर पर मोबाइल की मदद से प्राणायाम और योग निद्रा करने से बुजुर्गों में हाई बीपी और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। एम्स के मेडिसिन विभाग की डॉक्टर अक्षिता और प्रोफेसर मोनिका पठानिया ने 24 हफ्ते तक चले क्लिनिकल ट्रायल में यह पता लगाया है।
स्टडी के दौरान 105 बुजुर्गों को दो ग्रुप में बांटा गया था। एक ग्रुप को सिर्फ मानक इलाज यानी दवा और जीवनशैली संबंधी परामर्श दिया गया, जबकि दूसरे समूह को इलाज और जरूरी दवाओं के साथ मोबाइल पर प्राणायाम और योग निद्रा भी कराई गई।
ब्लड प्रेशर में आई कमी
24 हफ्ते बाद पता चला कि प्राणायाम और योग निद्रा करने वाले समूह में सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर में औसतन 10 mmHg की कमी दर्ज की गई। नींद की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ। 12 अगस्त को यह स्टडी प्रतिष्ठित जर्नल 'एनाल्स ऑफ न्यूरोसाइंस' में प्रकाशित हुई है।
डॉक्टर मोनिका पठानिया ने बताया कि हाई बीपी दुनिया में हर साल करीब 7.7 से 10.4 मिलियन मौतों की वजह बनता है। सिस्टोलिक प्रेशर में भारत में 60 साल से ऊपर के लोगों में हाई बीपी की दर लगभग 48% तक पहुंच चुकी है।
'दवा कम हुई, लेकिन खुद से न लें फैसला'
डॉक्टर मोनिका पठानिया ने बताया कि बुजुर्ग अक्सर बड़े व्यायाम नहीं कर पाते है और दवाएं भी कम खाने के इच्छुक होते हैं। ऐसे में हमने मोबाइल विडियो की मदद से बुजुर्ग मरीजों को कुर्सी पर बिठाकर यह प्राणायाम कराए। इन्हें मुख्य रूप से भ्रामरी, सीत्कारी और उज्जयी प्राणायाम कराए गए। इनका काफी असर हुआ। डॉक्टर मोनिका ने बताया कि इससे बीपी में कमी होने को वजह से मरीजों को दवाएं भी कम लेनी पड़ती है। हालांकि दवाएं घटाने या बढ़ाने का फैसला डॉक्टर की सलाह से ही लें।
स्टडी के दौरान 105 बुजुर्गों को दो ग्रुप में बांटा गया था। एक ग्रुप को सिर्फ मानक इलाज यानी दवा और जीवनशैली संबंधी परामर्श दिया गया, जबकि दूसरे समूह को इलाज और जरूरी दवाओं के साथ मोबाइल पर प्राणायाम और योग निद्रा भी कराई गई।
ब्लड प्रेशर में आई कमी
24 हफ्ते बाद पता चला कि प्राणायाम और योग निद्रा करने वाले समूह में सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर में औसतन 10 mmHg की कमी दर्ज की गई। नींद की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ। 12 अगस्त को यह स्टडी प्रतिष्ठित जर्नल 'एनाल्स ऑफ न्यूरोसाइंस' में प्रकाशित हुई है।
डॉक्टर मोनिका पठानिया ने बताया कि हाई बीपी दुनिया में हर साल करीब 7.7 से 10.4 मिलियन मौतों की वजह बनता है। सिस्टोलिक प्रेशर में भारत में 60 साल से ऊपर के लोगों में हाई बीपी की दर लगभग 48% तक पहुंच चुकी है।
'दवा कम हुई, लेकिन खुद से न लें फैसला'
डॉक्टर मोनिका पठानिया ने बताया कि बुजुर्ग अक्सर बड़े व्यायाम नहीं कर पाते है और दवाएं भी कम खाने के इच्छुक होते हैं। ऐसे में हमने मोबाइल विडियो की मदद से बुजुर्ग मरीजों को कुर्सी पर बिठाकर यह प्राणायाम कराए। इन्हें मुख्य रूप से भ्रामरी, सीत्कारी और उज्जयी प्राणायाम कराए गए। इनका काफी असर हुआ। डॉक्टर मोनिका ने बताया कि इससे बीपी में कमी होने को वजह से मरीजों को दवाएं भी कम लेनी पड़ती है। हालांकि दवाएं घटाने या बढ़ाने का फैसला डॉक्टर की सलाह से ही लें।
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