ज्येष्ठ मास में आने वाली पहली एकादशी तिथि को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार अपरा एकादशी पर कई शुभ शुभ योग बनने जा रहे हैं। वैसे तो सारी ही एकादशियों का विशेष महत्व होता है लेकिन, अपरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को ब्रह्म हत्या तक के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है। आइए जानते हैं अपरा एकादशी का व्रत कब है। जानें तारीख, महत्व और पूजा विधि। कब है अपरा एकादशीअपरा एकादशी तिथि का आरंभ 22 तारीख को रात में 1 बजकर 13 मिनट पर होगा और एकादशी तिथि का अंत 23 तारीख को रात में 11 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में अपरा एकादशी का व्रत 23 तारीख को किया जाएगा। अपरा एकादशी 23 मई को शुक्रवार का दिन है। साथ ही इस दिन आयुष्मान योग, प्रीति योग का शुभ संयोग भी बना हुआ हैं। वहीं, इस दिन बुध भी जा रहे हैं वृषभ राशि में जिससे बुधादित्य राजयोग बना भी इस दिन बन रहा है। इसलिए इस दिन पूजा पाठ करने का आपको विशेष लाभ मिलेगा। साथ ही इस दिन शुक्रवार होने के कारण माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की उपासना एक साथ करने से आपको दोहरा लाभ मिलेगा। अपरा एकादशी व्रत और पूजा विधि :
- अपरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें इसके बाद भगवान विष्णु को ध्यान करें और सूर्यदेव को जल अर्पित कर व्रत का संकल्प लें।
- अपरा एकादशी व्रत से एक दिन पहले इसका ध्यान रखें कि पहले आप सात्विक भोजन करें और संयम रखें।
- इसके बाद पूजा स्थल को स्वच्छ करें और एक लकड़ी की चौकी पर पीले रंग के वस्त्र अर्पित कर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की तस्वीर अर्पित करें।
- इसके बाद सबसे पहले भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का अभिषेक करें और उन्हें फूल अर्पित करें।
- फिर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को मीठे का भोग अर्पित करें और एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
- अंत में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
You may also like
मन में उठते गलत विचार भी हैं बीमारी का कारण, मुकाबला करने के लिए बैलेंस बनाना जरूरी
मुंबई : एक लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार हुआ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, ट्रस्टी से मांगे थे ढाई लाख
Toyota Glanza: बजट में स्टाइल, सेफ्टी और लग्ज़री का भरोसेमंद पैकेज
अतिसार (दस्त) का घरेलू इलाज: तुरंत आराम के लिए आजमाए हुए नुस्खे
पुणे एनसीपी : शहर अध्यक्ष दीपक मानकर ने अचानक दिया इस्तीफा, अजित पवार को लिखा खत