नई दिल्ली: एक सीनियर वकील और जिला अदालत के दो जजों पर गंभीर आरोप लगाने वाली एक युवा महिला वकील की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा है। कोर्ट ने सीनियर वकील से भी याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें उन पर याचिकाकर्ता का जबरन यौन शोषण करने का आरोप लगाया गया है और उस मामले में साकेत कोर्ट से उन्हें मिली अग्रिम जमानत को रद्द करने की हाई कोर्ट से गुहार लगाई गई है।
अग्रिम जमानत दी गई
सनसनीखेज नजर आने वाला यह मामला 29 जुलाई को जस्टिस विकास महाजन की कोर्ट में सुनवाई के लिए आया। याचिकाकर्ता ने साकेत कोर्ट के जज के 16 जुलाई को पारित आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें प्रतिवादी वकील को मामले में गिरफ्तारी से राहत देते हुए अग्रिम जमानत दी गई।
वह एक प्रैक्टिसिंग एडवोकेट हैं
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील जितेंद्र कुमार झा ने दलील दी कि प्रतिवादी वकील को राहत देने के लिए ट्रायल कोर्ट ने एकमात्र इस वजह पर विचार किया कि वह एक प्रैक्टिसिंग एडवोकेट हैं। तर्क दिया कि इतने गंभीर आरोपों पर ऐसा विचार लागू करने को औचित्य नहीं है। आरोप लगाया कि प्रतिवादी वकील ने याचिकाकर्ता के साथ जबरन यौन संबंध बनाए थे और कई सालों से उसका शोषण करता रहा। याचिकाकर्ता को अभी भी धमकियां मिलने के दावे पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि शिकायतकर्ता संबंधित जांच अधिकारी के आगे शिकायत दर्ज करा सकती है, जो कानून के अनुसार तुरंत कार्रवाई करेगा। मामले में अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी।
पुलिस और प्रतिवादी वकील से जवाब मांगा
हाई कोर्ट ने जिस याचिका पर यह आदेश पारित, उसमें लगाए गए आरोप गंभीर है। 27 साल की शिकायतकर्ता के आरोपों के मुताबिक, वह एक 50 साल के सीनियर वकील की लॉ फर्म में बतौर इंटर्न (जूनियर एसोसिएट) काम करती थी, जिसने उस दौरान, अपने अधिकार और पेशेवर वरिष्ठता का दुरुपयोग करके इनका यौन शोषण किया और धमकाया। उनकी शिकायत पर नेब सराय पुलिस ने प्रतिवादी वकील और दो सह आरोपियों के खिलाफ रेप, चोट पहुंचाने और धमकाने के आरोपों में एफआईआर दर्ज की है। शिकायतकर्ता ने 2024 में वकालत की पढ़ाई पूरी कर साकेत कोर्ट की मेंबरशिप ली है।
कुछ सबूत भी कोर्ट के सामने रखे
आरोपी वकील के प्रभावशाली होने का दावा करते हुए शिकायतकर्ता ने यह भी दावा किया कि इंटर्नशिप के दौरान आरोपी वकील की सिफारिश पर उसे लॉ क्लर्क के तौर पर काम दिलाने वाले जिला अदालत के दो सीनियरों जजों ने आरोपी वकील के साथ समझौता करने और केस वापस लेने के लिए उस पर दबाव बनाने की कोशिश भी की। महिला ने कुछ सबूत भी कोर्ट के सामने रखे हैं।
अग्रिम जमानत दी गई
सनसनीखेज नजर आने वाला यह मामला 29 जुलाई को जस्टिस विकास महाजन की कोर्ट में सुनवाई के लिए आया। याचिकाकर्ता ने साकेत कोर्ट के जज के 16 जुलाई को पारित आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें प्रतिवादी वकील को मामले में गिरफ्तारी से राहत देते हुए अग्रिम जमानत दी गई।
वह एक प्रैक्टिसिंग एडवोकेट हैं
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील जितेंद्र कुमार झा ने दलील दी कि प्रतिवादी वकील को राहत देने के लिए ट्रायल कोर्ट ने एकमात्र इस वजह पर विचार किया कि वह एक प्रैक्टिसिंग एडवोकेट हैं। तर्क दिया कि इतने गंभीर आरोपों पर ऐसा विचार लागू करने को औचित्य नहीं है। आरोप लगाया कि प्रतिवादी वकील ने याचिकाकर्ता के साथ जबरन यौन संबंध बनाए थे और कई सालों से उसका शोषण करता रहा। याचिकाकर्ता को अभी भी धमकियां मिलने के दावे पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि शिकायतकर्ता संबंधित जांच अधिकारी के आगे शिकायत दर्ज करा सकती है, जो कानून के अनुसार तुरंत कार्रवाई करेगा। मामले में अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी।
पुलिस और प्रतिवादी वकील से जवाब मांगा
हाई कोर्ट ने जिस याचिका पर यह आदेश पारित, उसमें लगाए गए आरोप गंभीर है। 27 साल की शिकायतकर्ता के आरोपों के मुताबिक, वह एक 50 साल के सीनियर वकील की लॉ फर्म में बतौर इंटर्न (जूनियर एसोसिएट) काम करती थी, जिसने उस दौरान, अपने अधिकार और पेशेवर वरिष्ठता का दुरुपयोग करके इनका यौन शोषण किया और धमकाया। उनकी शिकायत पर नेब सराय पुलिस ने प्रतिवादी वकील और दो सह आरोपियों के खिलाफ रेप, चोट पहुंचाने और धमकाने के आरोपों में एफआईआर दर्ज की है। शिकायतकर्ता ने 2024 में वकालत की पढ़ाई पूरी कर साकेत कोर्ट की मेंबरशिप ली है।
कुछ सबूत भी कोर्ट के सामने रखे
आरोपी वकील के प्रभावशाली होने का दावा करते हुए शिकायतकर्ता ने यह भी दावा किया कि इंटर्नशिप के दौरान आरोपी वकील की सिफारिश पर उसे लॉ क्लर्क के तौर पर काम दिलाने वाले जिला अदालत के दो सीनियरों जजों ने आरोपी वकील के साथ समझौता करने और केस वापस लेने के लिए उस पर दबाव बनाने की कोशिश भी की। महिला ने कुछ सबूत भी कोर्ट के सामने रखे हैं।
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