दरभंगा: बिहार में पहले चरण के मतदान के दौरान दरभंगा शहर विधानसभा सीट पर वोटिंग जारी है। दरभंगा जिले में दोपहर 1 बजे तक 39.35 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला है। दरभंगा में वोटिंग प्रतिशत 36.77 रहा।
दरभंगा शहर सीट को भाजपा का एक मजबूत गढ़ माना जाता है। निवर्तमान विधायक और बिहार सरकार में मंत्री संजय सरावगी (BJP) लगातार पांच बार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनके सामने महागठबंधन की ओर से विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के उमेश सहनी एक मजबूत चुनौती पेश कर रहे हैं। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ीं पुष्पम प्रिया चौधरी (द प्लूरल्स पार्टी- TPP) और रिटायर्ड आईपीएस आरके मिश्रा (जन सुराज) जैसे कुल 13 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जिससे मुकाबला रोचक हो गया है। ये क्षेत्र अपनी समृद्ध मिथिला संस्कृति और मजबूत शहरी मतदाता आधार के साथ-साथ अनुसूचित जाति (लगभग 12.34%) और मुस्लिम मतदाताओं (लगभग 23.3%) के जातीय समीकरण के लिए भी जाना जाता है।
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दरभंगा शहर सीट के प्रमुख उम्मीदवारदरभंगा शहर विधानसभा सीट 2025 में मुख्य मुकाबला एनडीए (भाजपा) और विपक्षी गठबंधन (आरजेडी) के बीच है, हालांकि नए दल भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
बिहार की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगादरभंगा को बिहार की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। अपनी समृद्ध मिथिला परंपराओं और ऐतिहासिक महत्व के कारण राजनीति में एक विशेष स्थान रखता है। ये विधानसभा क्षेत्र (संख्या 83) दरभंगा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है और दरभंगा नगर निगम क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों को कवर करता है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस क्षेत्र सहित सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई थी। ये सीट पिछले कई चुनावों से भाजपा के कब्जे में रही है, जिससे ये भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। इस क्षेत्र में करीब सवा तीन लाख शहरी (76.76%) और ग्रामीण (23.24%) मतदाताओं का मिश्रण है, लेकिन इसका झुकाव अधिक शहरी है।
दरभंगा शहर सीट का चुनावी इतिहासदरभंगा शहर विधानसभा सीट पर 2005 के बाद से लगातार भाजपा का कब्जा रहा है, जब संजय सरावगी ने यहां पहली बार जीत दर्ज की थी। ये सीट भाजपा के लिए एक अभेद्य गढ़ के रूप में स्थापित हो चुकी है। 2020 के चुनाव में भाजपा के संजय सरावगी ने राजद के अमर नाथ गामी को 10,639 वोटों से हराया था। 2020 में इस सीट पर कुल 55.79% मतदान हुआ था, जो बिहार के औसत से बेहतर था। दरभंगा शहर विधानसभा सीट का जातीय समीकरण चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाता है, हालांकि एक बड़ा शहरी वोट बैंक भी यहां है जो विकास के मुद्दों पर वोट करता है।
अबकी बार संजय सरावगी का क्या होगा?दरभंगा सीट पर मुस्लिम मतदाता लगभग 23.3% है। ये वोटबैंक अमूमन विपक्षी दलों के लिए एक मजबूत आधार माना जाता है। अनुसूचित जाति के मतदाता भी लगभग 12.34% हैं। ब्राह्मण, भूमिहार, और अन्य अगड़ी जातियों के साथ-साथ अन्य पिछड़ी जातियों के मतदाता भी एक बड़ी संख्या में हैं, जिनका रुख उम्मीदवार की व्यक्तिगत छवि और पार्टी लाइन पर निर्भर करता है। मिथिला क्षेत्र होने के कारण यहां के मतदाता जातीय समीकरणों के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति, भाषा और क्षेत्र के विकास के मुद्दों पर भी ध्यान देते हैं। जातीय समीकरणों को साधने का प्रयास सभी दलों ने किया है।
दरभंगा शहर सीट को भाजपा का एक मजबूत गढ़ माना जाता है। निवर्तमान विधायक और बिहार सरकार में मंत्री संजय सरावगी (BJP) लगातार पांच बार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनके सामने महागठबंधन की ओर से विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के उमेश सहनी एक मजबूत चुनौती पेश कर रहे हैं। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ीं पुष्पम प्रिया चौधरी (द प्लूरल्स पार्टी- TPP) और रिटायर्ड आईपीएस आरके मिश्रा (जन सुराज) जैसे कुल 13 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जिससे मुकाबला रोचक हो गया है। ये क्षेत्र अपनी समृद्ध मिथिला संस्कृति और मजबूत शहरी मतदाता आधार के साथ-साथ अनुसूचित जाति (लगभग 12.34%) और मुस्लिम मतदाताओं (लगभग 23.3%) के जातीय समीकरण के लिए भी जाना जाता है।
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दरभंगा शहर सीट के प्रमुख उम्मीदवारदरभंगा शहर विधानसभा सीट 2025 में मुख्य मुकाबला एनडीए (भाजपा) और विपक्षी गठबंधन (आरजेडी) के बीच है, हालांकि नए दल भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
- संजय सरावगी (भारतीय जनता पार्टी- BJP): एनडीए की ओर से इस सीट पर भाजपा के वर्तमान विधायक हैं, जो लगातार पांच बार (2005 से) जीत दर्ज कर चुके हैं।
- उमेश सहनी (विकासशील इंसान पार्टी- VIP): पिछली बार 2020 के चुनाव में यहां से आरजेडी के अमर नाथ गामी उम्मीदवार थे, इस बार ये सीट महागठबंधन की ओर से वीआईपी को दी गई है।
- पुष्पम प्रिया चौधरी (द प्लूरल्स पार्टी- TPP): लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ीं और 'मुख्यमंत्री उम्मीदवार' के रूप में चर्चा में आईं पुष्पम प्रिया चौधरी भी इस बार दरभंगा शहर सीट से चुनाव लड़ रही हैं।
- आरके मिश्रा (जन सुराज पार्टी- JSP): प्रशांत किशोर ने रिटायर्ड आईपीएस अफसर आरके मिश्रा को अपना प्रत्याशी बनाया है। इनको 1989 के भागलपुर दंगों को कंट्रोल करने में निर्णायक भूमिका के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है।
बिहार की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगादरभंगा को बिहार की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। अपनी समृद्ध मिथिला परंपराओं और ऐतिहासिक महत्व के कारण राजनीति में एक विशेष स्थान रखता है। ये विधानसभा क्षेत्र (संख्या 83) दरभंगा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है और दरभंगा नगर निगम क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों को कवर करता है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस क्षेत्र सहित सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई थी। ये सीट पिछले कई चुनावों से भाजपा के कब्जे में रही है, जिससे ये भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। इस क्षेत्र में करीब सवा तीन लाख शहरी (76.76%) और ग्रामीण (23.24%) मतदाताओं का मिश्रण है, लेकिन इसका झुकाव अधिक शहरी है।
दरभंगा शहर सीट का चुनावी इतिहासदरभंगा शहर विधानसभा सीट पर 2005 के बाद से लगातार भाजपा का कब्जा रहा है, जब संजय सरावगी ने यहां पहली बार जीत दर्ज की थी। ये सीट भाजपा के लिए एक अभेद्य गढ़ के रूप में स्थापित हो चुकी है। 2020 के चुनाव में भाजपा के संजय सरावगी ने राजद के अमर नाथ गामी को 10,639 वोटों से हराया था। 2020 में इस सीट पर कुल 55.79% मतदान हुआ था, जो बिहार के औसत से बेहतर था। दरभंगा शहर विधानसभा सीट का जातीय समीकरण चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाता है, हालांकि एक बड़ा शहरी वोट बैंक भी यहां है जो विकास के मुद्दों पर वोट करता है।
अबकी बार संजय सरावगी का क्या होगा?दरभंगा सीट पर मुस्लिम मतदाता लगभग 23.3% है। ये वोटबैंक अमूमन विपक्षी दलों के लिए एक मजबूत आधार माना जाता है। अनुसूचित जाति के मतदाता भी लगभग 12.34% हैं। ब्राह्मण, भूमिहार, और अन्य अगड़ी जातियों के साथ-साथ अन्य पिछड़ी जातियों के मतदाता भी एक बड़ी संख्या में हैं, जिनका रुख उम्मीदवार की व्यक्तिगत छवि और पार्टी लाइन पर निर्भर करता है। मिथिला क्षेत्र होने के कारण यहां के मतदाता जातीय समीकरणों के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति, भाषा और क्षेत्र के विकास के मुद्दों पर भी ध्यान देते हैं। जातीय समीकरणों को साधने का प्रयास सभी दलों ने किया है।
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