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MP, राजस्थान, हरियाणा का UP में 'बदला', बड़ा सवाल- कांग्रेस के बिना अखिलेश SP को राष्ट्रीय पार्टी कैसे बनाएंगे?

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव की राजनीति खासी गरमाई हुई है। प्रदेश के राजनीतिक मैदान में अखिलेश यादव की रणनीति की खूब चर्चा हो रही है। दरअसल, अखिलेश यादव ने यूपी विधानसभा उपचुनाव को लेकर बड़ा ऐलान किया। बुधवार शाम को अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए सपा के सिंबल पर ही सभी 9 सीटों पर उपचुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। गुरुवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की ओर से बयान आया कि यूपी चुनाव में कांग्रेस अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी। पार्टी ने समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया। इस पूरी कवायद के बाद से अखिलेश यादव की रणनीति पर सवाल उठना शुरू हो गया है। इसका सीधा असर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दिख सकता है। वहां सपा को कांग्रेस को झटका दे सकती है। उठ रहे कई सवालसवाल यह है कि क्या अखिलेश यादव ने पिछले पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की ओर से उठाए गए कदम का बदला लिया है? दरअसल, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने सपा के लिए सीटों की मांग की थी। लेकिन, कांग्रेस की ओर से उसे ठुकरा दिया गया। अब उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव हो रहा है। समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस की पांच सीटों की मांग को ठुकरा दिया। इसके बाद बदले की राजनीति चर्चा में है। अखिलेश ने किया है ऐलानअखिलेश यादव ने यूपी की सभी 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया। अखिलेश यादव की रणनीति को बदले के रूप में पेश किया जा रहा है। साथ ही, यह सवाल उठाए जा रहा है कि अखिलेश को बदले की राजनीति भारी पड़ सकती है। अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सीट देने से इनकार कर दिया। इस रणनीति के आधार पर अन्य प्रदेशों में कांग्रेस भी समाजवादी पार्टी को सीट देने से इनकार कर सकती है। ऐसे में समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय दल बनने का सपना कैसे पूरा होगा? इस पर राजनीतिक विमर्श शुरू हो गया है। कांग्रेस ने दिया था झटकासमाजवादी पार्टी को कांग्रेस ने पिछले चुनावों में जोरदार झटका दिया था। इंडिया गठबंधन बनने के बाद भाजपा के खिलाफ तमाम ताकतों को जुटने का आह्वान किया गया। हालांकि, विधानसभा चुनावों में यह गठबंधन काम करता नहीं दिखा। मध्य प्रदेश में विपक्ष में कांग्रेस मजबूत थी। भाजपा से पार्टी का सीधा मुकाबला था। समाजवादी पार्टी ने यूपी से जुड़े इलाकों में अपने उम्मीदवार खड़े करने के लिए लगभग एक दर्जन सीटों पर दावा ठोंका। मध्य प्रदेश चुनाव के समय कांग्रेस के सीनियर लीडर और पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा था, कौन अखिलेश यादव। मध्य प्रदेश में उन्हें कोई नहीं जानता। राजस्थान विधानसभा चुनाव में उतरने के लिए भी सीट मांगे जाने पर भी कुछ इसी तरह के तेवर कांग्रेस ने दिखाए। ऐसे में सपा को अपने दम पर चुनावी मैदान में उतरना पड़ा।हरियाणा में पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने कांग्रेस के समय 5 से छह सीटों की डिमांड रखी। कांग्रेस के सीनियर नेता दीपेंद्र सिंह हूडा ने तब कहा कि अखिलेश यादव की हरियाणा की राजनीति में कोई पकड़ नहीं है। ऐसे में पार्टी ने अखिलेश की मांग ठुकरा दी। सपा ने इसके बाद चुनावी मैदान में न उतरने का ऐलान कर दिया। हालांकि, कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की। अब यूपी में बदलाअखिलेश यादव पिछले विधानसभा चुनावों में जहां समाजवादी पार्टी को नजरअंदाज किया गया, उसका जवाब यूपी से देखे दिख रहे हैं। यूपी में उन्होंने अपने स्तर पर सोशल मीडिया पोस्ट कर कांग्रेस के इस चुनाव में न उतरने का ऐलान कर दिया गया। हरियाणा में करारी हार के बाद बैकफुट पर आई कांग्रेस ने उपचुनाव को लेकर कोई बड़ा विरोध नहीं किया।कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय मीडिया के सामने आए। उन्होंने संविधान बचाने की लड़ाई में अखिलेश यादव के समर्थन की बात कही। हालांकि, अखिलेश यादव के बयान का वे बिना कुछ कहे विरोध करते दिखे। दरअसल, अखिलेश ने कहा था कि सपा के सिंबल पर कांग्रेस नेता चुनाव में उतरेंगे। वहीं, अजय राय ने कहा कि कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ेगी। कांग्रेस की बदली रणनीतिकांग्रेस की बदली रणनीति से सपा की चुनौती बढ़ गई है। 2017 में सपा की कमान संभालने के बाद से लगातार अखिलेश पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा दिलाने की कोशिश करते दिखे हैं। लेकिन उन्हें इस अभियान में सफलता नहीं मिली है। लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में कांग्रेस से गठबंधन के बाद इस दिशा में सोचा जाना शुरू किया गया।यूपी से इतर अन्य राज्यों में सपा को उम्मीद थी कि कांग्रेस की मदद से पार्टी के विस्तार में मदद मिल सकती है। पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए राजनीति के चेहरे के तौर पर अखिलेश यादव को आगे बढ़ाया जाएग, इसकी उम्मीद की जा रही थी। हालांकि, ऐसा होता नहीं दिखा। अब यूपी में अखिलेश की रणनीति का असर भी दिखेगा। इस पर चर्चा तेज हो गई है।
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