नई दिल्ली: देश की सबसे वैल्यूएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने आज एक बड़ी घोषणा की। रिलायंस की सहायक कंपनी रिलायंस इंटेलिजेंस लिमिटेड ने फेसबुक की भारतीय यूनिट के साथ मिलकर एक नई कंपनी बनाई है। इस नई कंपनी का नाम रिलायंस एंटरप्राइज इंटेलिजेंस लिमिटेड (REIL) रखा गया है।
दोनों कंपनियां मिलकर इस नई कंपनी में करीब 855 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश करेंगी। इस कंपनी का मुख्य काम एंटरप्राइज AI सर्विसेज का विकास, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन रहेगा।
मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंटेलिजेंस इस नई कंपनी REIL में 70% हिस्सेदारी रखेगी। वहीं मार्क जकरबर्ग की कंपनी मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक की सहायक कंपनी फेसबुक ओवरसीज इंक के पास बाकी 30% हिस्सेदारी होगी। रिलायंस का AI विभाग इस नई कंपनी में 2 करोड़ रुपये का निवेश करेगा।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बताया है कि इस नई कंपनी REIL को बनाने में किसी भी तरह के रिलेटेड पार्टी का कोई लेन-देन शामिल नहीं है। इसका मतलब है कि रिलायंस के प्रमोटर, प्रमोटर ग्रुप या ग्रुप कंपनियों का इस डील में कोई सीधा हित नहीं है।
क्या करेगी कंपनी
साथ ही इस कंपनी को बनाने के लिए किसी भी सरकारी या नियामक मंजूरी की जरूरत नहीं पड़ी। इस संयुक्त उद्यम की घोषणा सबसे पहले अगस्त में रिलायंस की AGM में की गई थी। यह JV मेटा के ओपन-सोर्स लामा मॉडल का इस्तेमाल करेगा। इसे रिलायंस की बड़े पैमाने पर कंपनियों तक पहुंच के साथ जोड़ा जाएगा। इसका मकसद विभिन्न क्षेत्रों में AI टूल्स उपलब्ध कराना है। यह कंपनी दो मुख्य तरह की सेवाएं प्रदान करेगी। एक एंटरप्राइज AI प्लेटफॉर्म-एज-ए-सर्विस (PaaS) होगा। दूसरा यह बिक्री, मार्केटिंग, आईटी ऑपरेशंस, ग्राहक सेवा और वित्त जैसे उद्योगों के लिए पहले से तैयार समाधानों का एक सेट भी पेश करेगा।
दोनों कंपनियां मिलकर इस नई कंपनी में करीब 855 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश करेंगी। इस कंपनी का मुख्य काम एंटरप्राइज AI सर्विसेज का विकास, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन रहेगा।
मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंटेलिजेंस इस नई कंपनी REIL में 70% हिस्सेदारी रखेगी। वहीं मार्क जकरबर्ग की कंपनी मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक की सहायक कंपनी फेसबुक ओवरसीज इंक के पास बाकी 30% हिस्सेदारी होगी। रिलायंस का AI विभाग इस नई कंपनी में 2 करोड़ रुपये का निवेश करेगा।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बताया है कि इस नई कंपनी REIL को बनाने में किसी भी तरह के रिलेटेड पार्टी का कोई लेन-देन शामिल नहीं है। इसका मतलब है कि रिलायंस के प्रमोटर, प्रमोटर ग्रुप या ग्रुप कंपनियों का इस डील में कोई सीधा हित नहीं है।
क्या करेगी कंपनी
साथ ही इस कंपनी को बनाने के लिए किसी भी सरकारी या नियामक मंजूरी की जरूरत नहीं पड़ी। इस संयुक्त उद्यम की घोषणा सबसे पहले अगस्त में रिलायंस की AGM में की गई थी। यह JV मेटा के ओपन-सोर्स लामा मॉडल का इस्तेमाल करेगा। इसे रिलायंस की बड़े पैमाने पर कंपनियों तक पहुंच के साथ जोड़ा जाएगा। इसका मकसद विभिन्न क्षेत्रों में AI टूल्स उपलब्ध कराना है। यह कंपनी दो मुख्य तरह की सेवाएं प्रदान करेगी। एक एंटरप्राइज AI प्लेटफॉर्म-एज-ए-सर्विस (PaaS) होगा। दूसरा यह बिक्री, मार्केटिंग, आईटी ऑपरेशंस, ग्राहक सेवा और वित्त जैसे उद्योगों के लिए पहले से तैयार समाधानों का एक सेट भी पेश करेगा।
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