जब भी अमेरिका के सेंट्रल बैंक,यानी फेडरल रिज़र्व का चीफ़ कुछ बोलता है,तो सिर्फ अमेरिका ही नहीं,बल्कि भारत समेत पूरी दुनिया कान लगाकर सुनती है। ऐसा इसलिए,क्योंकि इनके एक-एक शब्द में दुनिया भर के शेयर बाज़ारों को हिलाने और आपकी जेब में रखे पैसे की क़ीमत को बदलने की ताक़त होती है।अभी हाल ही में फेडरल रिज़र्व के चेयरमैन,जेरोम पॉवेलने जैक्सन होल (Jackson Hole)में एक भाषण दिया,और तब से ही दुनिया भर के अर्थशास्त्री और निवेशक उनके भाषण के एक-एक शब्द का मतलब निकालने में जुट गए हैं।तो चलिए,आपको आसान भाषा में बताते हैं उनके भाषण की वो5सबसे बड़ी और काम की बातें,जिनका असर सीधा हम सब पर पड़ने वाला है।1. "लड़ाई अभी ख़त्म नहीं हुई है..."पॉवेल ने साफ़-साफ़ और कड़े शब्दों में कहा कि भले ही महंगाई (Inflation)थोड़ी कम हुई है,लेकिन यह अभी भी बहुत ज़्यादा है और हमारा काम अभी ख़त्म नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, "2परसेंट का लक्ष्य हमारा है,और रहेगा।" इसका सीधा मतलब है कि फेडरल रिज़र्व महंगाई को लेकर कोई भी ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है।2. "...और ज़रूरत पड़ी तो ब्याज दरें और बढ़ाएंगे"यह उनके भाषण की सबसे डराने वाली लाइन थी। उन्होंने कहा कि अगर अर्थव्यवस्था और महंगाई के आंकड़े काबू में नहीं आए,तो हम ब्याज़ दरें (Interest Rates)बढ़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। अमेरिका में ब्याज़ दरें बढ़ने का मतलब है कि वहाँ लोगों के लिए लोन और महंगा हो जाएगा। इसका असर यह होता है कि विदेशी निवेशक भारत जैसे बाज़ारों से पैसा निकालकर अमेरिका में लगाने लगते हैं,जिससे हमारे शेयर बाज़ार में गिरावट आ सकती है।3. "हम संभलकर क़दम उठाएंगे"हालाँकि उन्होंने ब्याज़ दरें बढ़ाने की धमकी तो दी,लेकिन साथ में यह भरोसा भी दिलाया कि हम कोई भी फ़ैसला जल्दबाज़ी में नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, "आगे बढ़ते हुए,हम सावधानी से आगे बढ़ेंगे।" इसका मतलब है कि फेडरल रिज़र्व आगे कोई भी फ़ैसला लेने से पहले आने वाले सभी आर्थिक आंकड़ों को बहुत ध्यान से देखेगा और उसके बाद ही कोई क़दम उठाएगा।4.अमेरिकी अर्थव्यवस्था उम्मीद से ज़्यादा मज़बूत हैपॉवेल ने माना कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था उनकी उम्मीद से कहीं ज़्यादा मज़बूत निकल रही है। लोग जमकर ख़र्च कर रहे हैं और नौकरियाँ भी ख़ूब हैं। यह वैसे तो अच्छी ख़बर है,लेकिन फेडरल रिज़र्व के नज़रिए से यह एक चिंता की बात भी है। क्योंकि जब लोगों के हाथ में ज़्यादा पैसा होता है और वे ज़्यादा ख़र्च करते हैं,तो महंगाई के फिर से बढ़ने का ख़तरा पैदा हो जाता है।5.लक्ष्य अभी भी दूर है...भाषण का लब्बोलुआब यह था कि जब तक महंगाई पूरी तरह से काबू में आकर2%के हमारे लक्ष्य पर नहीं पहुँच जाती,तब तक हम चैन से नहीं बैठने वाले। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए अभी हमें एक लंबा रास्ता तय करना है।इस भाषण से एक बात तो साफ़ है - दुनिया भर के बाज़ारों के लिए आने वाला समय अनिश्चितताओं से भरा रह सकता है और अमेरिका में ब्याज़ दरों की तलवार अभी भी लटक रही है,जिसका असर हम सब पर किसी न किसी रूप में ज़रूर पड़ेगा।
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