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Property Documents :घर खरीदने का सपना? इन 6 ज़रूरी कागज़ों को जांचे बिना आगे न बढ़ें, धोखाधड़ी से बचें!

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घर खरीदने का सपना? इन 6 ज़रूरी कागज़ों को जांचे बिना आगे न बढ़ें, धोखाधड़ी से बचें!

News India Live,Digital Desk:Property Documents: अपना घर हो, ये सपना हम में से लगभग हर कोई देखता है। इसके लिए सालों की मेहनत की कमाई और बचत लगती है। लेकिन इस सपने को हकीकत बनाते समय ज़रा सी लापरवाही आपको बड़े धोखे का शिकार बना सकती है, खासकर जब बात प्रॉपर्टी के कागज़ातों की हो।

ये ज़िंदगी के सबसे बड़े निवेशों में से एक होता है, इसलिए ये बेहद ज़रूरी है कि आप हर कानूनी दस्तावेज़ (Property Documents Checklist) को बारीकी से परखें। आधी-अधूरी जानकारी के भरोसे फैसला लेना बहुत भारी पड़ सकता है। अगर आप भी अपने सपनों का आशियाना खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो इन बातों को गांठ बांध लें ताकि आपकी मेहनत की कमाई सुरक्षित रहे और आपको मन की शांति मिले।

इन दस्तावेज़ों पर रखें खास नज़र:

1. रेरा सर्टिफ़िकेट: आपकी सुरक्षा का पहला कदम

आजकल कोई भी ज़मीन, फ्लैट या बना-बनाया घर खरीदने से पहले, ये पक्का कर लें कि वो प्रोजेक्ट रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट, 2016) में रजिस्टर्ड है या नहीं। जब से ये कानून आया है, हर बिल्डर के लिए अपने निर्माणाधीन प्रोजेक्ट को रजिस्टर कराना अनिवार्य है। रेरा रजिस्ट्रेशन एक तरह से आपके निवेश की सुरक्षा की गारंटी देता है और आपको बिल्डर की धोखाधड़ी या वादे खिलाफी से बचाता है। इसलिए, बिल्डर से रेरा रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (Rera Certificate) ज़रूर मांगें और उसकी सत्यता जांचें।

2. सेल एग्रीमेंट (बिक्री का अनुबंध): हर शर्त की लिखा-पढ़ी

यह दस्तावेज़ प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त की नींव होता है। इसमें प्रॉपर्टी से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण जानकारी लिखी होती है – जैसे आपको घर का कब्ज़ा (पज़ेशन) कब मिलेगा, लेन-देन के नियम और शर्तें क्या हैं, कॉमन एरिया (जैसे पार्किंग, पार्क आदि) कौन से हैं, पेमेंट का पूरा प्लान क्या है, वगैरह। प्रॉपर्टी खरीदते समय या होम लोन के लिए अप्लाई करते समय, सेल एग्रीमेंट (Contract of sale or sale agreement) देना अनिवार्य होता है। इसे शब्द-दर-शब्द ध्यान से पढ़ें और समझें।

3. ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (OC): रहने की ‘हरी झंडी’

यह सर्टिफिकेट स्थानीय सरकारी प्राधिकरण (जैसे नगर निगम) द्वारा जारी किया जाता है और यह सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों में से एक है। OC इस बात का प्रमाण है कि बिल्डिंग सभी सरकारी नियमों और बिल्डिंग कोड के अनुसार बनी है और रहने के लिए सुरक्षित व उपयुक्त है। बिल्डर आपको घर का कानूनी कब्ज़ा तभी दे सकता है जब उसके पास OC हो। इस सर्टिफिकेट को देखे बिना घर खरीदने की प्रक्रिया को फाइनल न करें।

4. एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट: क्या प्रॉपर्टी पर कोई ‘बोझ’ तो नहीं?

आप जो प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, कहीं उस पर कोई पुराना लोन बकाया तो नहीं है? या उस पर कोई कानूनी मुकदमा तो नहीं चल रहा? या किसी और तरह की देनदारी (जैसे गिरवी रखना) तो नहीं है? इन सभी सवालों का जवाब ‘एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट’ (Encumbrance Certificate) देता है। यह सर्टिफिकेट बताता है कि प्रॉपर्टी का टाइटल बिल्कुल साफ है और वह किसी भी तरह के वित्तीय या कानूनी झंझट से मुक्त है। (Whether the property is dispute-free or not)

5. स्थानीय प्राधिकरण से NOC (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट):

जब भी आप कोई घर या ज़मीन खरीदें, तो बिल्डर या बेचने वाले से संबंधित स्थानीय प्राधिकरणों (जैसे डेवलपमेंट अथॉरिटी, नगर निगम, बिजली विभाग, पर्यावरण विभाग आदि) से मिली ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) ज़रूर मांगें। यह इस बात का सबूत है कि उस प्रोजेक्ट या ज़मीन के निर्माण/बिक्री पर संबंधित सरकारी विभागों को कोई आपत्ति नहीं है। यह भी सबसे ज़रूरी कागज़ों में से एक है।

6. टाइटल डीड / स्वामित्व प्रमाण पत्र: असली मालिक कौन?

यह दस्तावेज़ इस बात का सबूत है कि प्रॉपर्टी का असली मालिक कौन है और जो व्यक्ति आपको प्रॉपर्टी बेच रहा है, क्या उसके पास कानूनी रूप से उसे बेचने का हक है भी या नहीं। आमतौर पर वकील इसकी पूरी जांच (Title Search) करके बताते हैं कि प्रॉपर्टी का मालिकाना हक (Ownership) साफ-सुथरा है या उसमें कोई पेंच है। इससे सुनिश्चित होता है कि आप सही मालिक से ही प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं।

घर खरीदना एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन जल्दबाज़ी या लापरवाही महंगी पड़ सकती है। इन सभी दस्तावेज़ों की अच्छी तरह जांच करें। ज़रूरत पड़े तो किसी प्रॉपर्टी वकील या विशेषज्ञ की मदद लेने में बिल्कुल संकोच न करें। सोच-समझकर उठाया गया कदम ही आपके सपने को सुरक्षित और सुखद बनाएगा।

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