अक्सर लोग सोचते हैं कि घर की पूरी कीमत चुका देने और चाबियां हाथ में आ जाने का मतलब है कि अब वे उस संपत्ति के मालिक बन गए हैं। कुछ हद तक यह बात सही है कि आपके पास उसका भौतिक कब्ज़ा (Physical Possession) आ जाता है, लेकिन कानूनी तौर पर सिर्फ इतने से आप उसके पूर्ण स्वामी नहीं बनते। असली मालिकाना हक पाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करना अनिवार्य होता है।
1. विक्रय पत्र (Sale Deed / बैनामा):
सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है विक्रय पत्र या बैनामा तैयार करवाना। यह एक कानूनी दस्तावेज़ होता है जो विक्रेता ( बेचने वाले) द्वारा क्रेता ( खरीदने वाले) के पक्ष में संपत्ति के हस्तांतरण (Transfer) को प्रमाणित करता है। इसमें संपत्ति का पूरा विवरण, दोनों पक्षों की जानकारी और बिक्री की शर्तों का उल्लेख होता है। इस पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर और गवाहों के हस्ताक्षर होते हैं।
2. रजिस्ट्री (Registration):
सिर्फ विक्रय पत्र बनवा लेना ही काफी नहीं है। इस विक्रय पत्र को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज कराना यानी उसकी रजिस्ट्री करवाना बेहद ज़रूरी है। यह प्रक्रिया सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में होती है। रजिस्ट्री के समय सरकार द्वारा निर्धारित स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क का भुगतान करना होता है। रजिस्ट्री हो जाने के बाद ही विक्रय पत्र कानूनी रूप से मान्य होता है और यह इस बात का पक्का सबूत बनता है कि संपत्ति अब आपके नाम पर ट्रांसफर हो चुकी है।
3. दाखिल-खारिज (Mutation):
रजिस्ट्री के बाद एक और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है दाखिल-खारिज। इसका मतलब है कि सरकारी (आमतौर पर नगर निगम या राजस्व विभाग के) रिकॉर्ड में संपत्ति के पुराने मालिक का नाम हटाकर नए मालिक यानी आपका नाम दर्ज करवाना। दाखिल-खारिज करवाना इसलिए भी ज़रूरी है ताकि भविष्य में प्रॉपर्टी टैक्स और अन्य सरकारी देनदारियां आपके नाम पर आ सकें और संपत्ति के रिकॉर्ड्स पूरी तरह से अपडेटेड रहें।
फ्रीहोल्ड बनाम लीज़होल्ड और होम लोन:
यह भी ध्यान रखना ज़रूरी है कि संपत्ति फ्रीहोल्ड है या लीज़होल्ड। फ्रीहोल्ड संपत्ति पर आपका पूर्ण स्वामित्व होता है, जबकि लीज़होल्ड संपत्ति एक निश्चित अवधि के लिए लीज़ पर मिलती है। अगर आपने होम लोन लेकर घर खरीदा है, तो जब तक आप पूरा लोन चुका नहीं देते, संपत्ति के मूल दस्तावेज़ बैंक के पास रहते हैं। हालांकि, रजिस्ट्री और दाखिल-खारिज आपके नाम पर ही होता है।
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