Peanuts In Lungs News: दिल्ली में एक तीन साल की बच्ची की जान उस समय संकट में आ गई जब गलती से मूंगफली का एक टुकड़ा उसके फेफड़ों में चला गया। बच्ची को लगभग 10 दिनों से तेज बुखार, उल्टी और लगातार खांसी की समस्या थी। उसकी स्थिति तब गंभीर हो गई जब उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगी, जिसके बाद उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया।
डॉक्टरों ने स्थिति का आकलन किया
मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शालीमार बाग में भर्ती होने के बाद डॉक्टरों ने पाया कि बच्ची के दाहिने फेफड़े में हवा का प्रवाह काफी कम हो गया था। सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज सुनाई दे रही थी, जिससे डॉक्टरों को संदेह हुआ कि उसके श्वसन मार्ग में कोई वस्तु फंसी हो सकती है।
X-रे से मूंगफली की पहचान X-रे में मूंगफली की पुष्टि
जांच के दौरान किए गए चेस्ट X-रे ने स्पष्ट किया कि बच्ची के दाहिने मुख्य ब्रोंकस में मूंगफली फंसी हुई थी। यह स्थिति बेहद नाजुक थी और यदि समय पर इलाज नहीं किया जाता, तो यह जानलेवा हो सकता था।
ब्रोंकोस्कोपी द्वारा उपचार ब्रोंकोस्कोपी से निकाला गया मूंगफली का टुकड़ा
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक कुमार की देखरेख में ICU में ब्रोंकोस्कोपी के माध्यम से मूंगफली को निकाला गया। उन्होंने बताया, “मूंगफली लगभग 10 दिनों से फंसी थी और यह श्वसन नली में सूजन पैदा कर रही थी।” मूंगफली निकालते समय वह दो हिस्सों में टूट गई, जो नरम सूखे मेवों में सामान्य है।
बच्ची की स्थिति में सुधार बच्ची अब पूरी तरह स्वस्थ
इलाज के बाद बच्ची को सूजन कम करने के लिए इन्हेल्ड स्टेरॉयड दिए गए और ICU में निगरानी में रखा गया। कुछ ही दिनों में उसकी स्थिति सामान्य हो गई और उसे स्वस्थ हालत में छुट्टी दे दी गई। अब वह पूरी तरह ठीक है और अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में लौट चुकी है।
डॉक्टरों की सलाह डॉक्टर्स की चेतावनी
डॉ. सोनिया मित्तल ने कहा, “छोटे बच्चों में श्वसन मार्ग में खाना फंसना आम है, लेकिन इसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। 3 साल से कम उम्र के बच्चों को साबुत सूखे मेवे या कठोर खाना नहीं देना चाहिए।” डॉ. कुमार ने भी कहा, “यह कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक हादसा होता है। माता-पिता को सजग रहना चाहिए और अगर मेवे देना हो तो उन्हें अच्छी तरह पीसकर दें।”
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