भारत में धर्म और आस्था से जुड़ी कई रहस्यमयी और चमत्कारी जगहें हैं, जिनमें से एक है राजस्थान के झुंझुनू जिले में स्थित कुलधरा मंदिर, जहां हर मंगलवार और शनिवार को “भूत अदालत” लगती है। यह मंदिर न सिर्फ लोगों की आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां की परंपराएं और मान्यताएं भी इसे रहस्यमयी बनाती हैं। आइए जानते हैं क्यों यह इतना प्रसिद्ध हो गया है… स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां भूत-प्रेत या पारलौकिक शक्तियों का इलाज कराने के लिए लोगों को लाया जाता है। मंदिर के प्रांगण में लोहे की मजबूत जंजीरें हैं, जिनसे बुरी आत्माओं से पीड़ित व्यक्ति को बांधा जाता है, ताकि इलाज के दौरान वह किसी को नुकसान न पहुंचा सके।
कैसे सुनाई देती हैं भूत-प्रेत की आवाजें?
जब कोई व्यक्ति अपने ऊपर “बुरी आत्मा” या किसी तरह की नकारात्मक शक्ति की शिकायत लेकर इस मंदिर में आता है, तो पुजारी विशेष मंत्रों और धार्मिक विधियों के जरिए उसकी स्थिति की जांच करते हैं। अगर उन्हें लगता है कि वाकई व्यक्ति पर कोई बुरी आत्मा हावी हो रही है, तो उसे जंजीरों से बांध दिया जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पूजा-पाठ और मंत्रोच्चार के दौरान अगर कोई व्यक्ति अजीबोगरीब हरकतें करने लगे, जोर-जोर से चिल्लाने लगे या असामान्य व्यवहार करने लगे तो उसे 'भूत-प्रेत' माना जाता है। ऐसे में वहां मौजूद भक्त और पुजारी उस आत्मा से बात करने की कोशिश करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि वह शरीर छोड़ दे।
भक्तों की भारी भीड़
हर मंगलवार और शनिवार को यहां दूर-दूर से लोग आते हैं। कई लोग यहां महीनों तक डेरा डालते हैं ताकि उनके परिवार के सदस्यों को बुरी शक्तियों से मुक्ति मिल सके। मंदिर में आराम करने के लिए छोटी-छोटी झोपड़ियां भी बनाई गई हैं जहां लोग रुकते हैं। इसके अलावा विज्ञान को मानने वाले लोग इसे गलत मानते हैं। वैज्ञानिक और चिकित्सा विशेषज्ञ इसे मानसिक रोगों से जोड़ते हैं। उनका कहना है कि कई बार जिन लोगों को 'भूत' मान लिया जाता है, वे असल में मानसिक रोगों से पीड़ित होते हैं, जिनका इलाज दवा और थेरेपी से किया जा सकता है। भले ही इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं आधुनिक विज्ञान से मेल नहीं खातीं, लेकिन यहां आने वाले लोगों की आस्था और विश्वास इसे खास बनाता है। यह मंदिर आस्था, रहस्य और भारतीय संस्कृति का अद्भुत संगम है।
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