उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक जूता फैक्ट्री में आग लगने से एक ही परिवार के पांच सदस्यों की मौत हो गई है। यह जूता फैक्ट्री एक आवासीय क्षेत्र में पांच मंजिला इमारत की निचली दो मंजिलों पर थी। जबकि प्रभावित परिवार के सदस्य ऊपरी मंजिल पर रहते थे। सूचना मिलते ही दमकल विभाग की टीम मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक ऊपरी मंजिल पर रखे सामान के साथ पांच लोगों की जान जा चुकी थी।
स्थानीय लोगों के अनुसार, फैक्ट्री में भीषण आग लगते ही दहशत फैल गई। लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। परिवार के मुखिया दानिश और उनके पिता भी बाहर आ गए। इस बीच पता चला कि दानिश की पत्नी और तीन बेटियां अंदर ही रह गई थीं। ऐसे में दानिश उन्हें बचाने के लिए अंदर गया, लेकिन आग में फंस गया। इस बीच दानिश के पिता ने भी अंदर जाने की कोशिश की, लेकिन आग की तीव्रता को देखते हुए वहां मौजूद लोगों ने उन्हें पकड़ लिया।
पांच लोगों की जलने से मौत
इससे उसकी जान बच गई। यहां दानिश, उनकी पत्नी और उनकी तीन बेटियां अपने घर में आग लगने से जलकर मर गईं। इस घटना ने एक बार फिर सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही उजागर कर दी है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इमारत की पहली और दूसरी मंजिल पर जूते-चप्पल बनाने की फैक्ट्री थी।
फैक्ट्री परमिट पर उठे सवाल
ऊपर की मंजिल पर कई परिवार अलग-अलग फ्लैटों में रहते थे। इनमें से एक परिवार डेनिश भी था। इस घटना को लेकर कई सवाल उठे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि संकरी गलियों वाले इलाके में फैक्ट्री चलाने की अनुमति कैसे मिल सकती है और अगर अनुमति नहीं मिली है तो केडीए कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है।
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