नवरात्र विशेष रिपोर्ट – मुकेश मूंदड़ा, चित्तौड़गढ़
चित्तौड़गढ़, (Udaipur Kiran News). चित्तौड़गढ़ जिले की आजोलिया का खेड़ा पंचायत के डेट गांव की ऊंची पहाड़ी पर विराजमान मां सगरा भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र हैं. लगभग 2 हजार वर्ष पुराने इस पावन मंदिर का इतिहास चित्तौड़ दुर्ग से भी प्राचीन माना जाता है. मां सगरा के दरबार में प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पहुंचते हैं.
सगरा बंजारे की कथा से जुड़ी आस्थाकिंवदंती के अनुसार, सगरा बंजारा जब इस क्षेत्र से गुजर रहे थे, तब उनकी बैलों की जोड़ी खो गई. उन्होंने माता से प्रार्थना की कि यदि बैल मिल जाएं तो वह यहां मंदिर का निर्माण कराएंगे. माता के आशीर्वाद से बैल लौट आए और सगरा बंजारा ने माता का मंदिर बनवाया. तभी से यह स्थान सगरा माता के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
पानी की पाती और पूरी होती मनोकामनाएंमां सगरा की कृपा से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है. यहां स्थित हजारों वर्ष पुरानी कुई से जुड़ी एक कथा प्रसिद्ध है—कहा जाता है कि एक व्यक्ति ने लालचवश एक बालिका को कुई में धकेल दिया, लेकिन अगले दिन वह बालिका जीवित मिली. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि उसकी रक्षा स्वयं माताजी ने की थी. भक्त यहां अपनी अन्य इच्छाओं के साथ-साथ ‘पानी की पाती’ भी मांगते हैं, ताकि उनके खेत या घर में खुदवाए गए बोरवेल में जल अवश्य मिले—और विश्वास यह है कि मां की कृपा से हर बार पानी निकलता है.
मंदिर के पुजारी रामलाल बताते हैं कि मान्यता है—एक बार नाहरसिंह माता, अपनी बड़ी बहन सगरा माता से मिलने आईं. सगरा माता स्वागत के लिए उठीं और नाहरसिंह माता उनकी जगह बैठ गईं. तब से सगरा माता खड़ी मुद्रा में विराजमान हैं और दोनों बहनें देवी स्वरूप यहां पूजित हैं.
दूर-दराज से उमड़ता श्रद्धालुओं का सैलाबमां सगरा के दरबार में न केवल आस-पास के गांवों से बल्कि Rajasthan और Gujarat तक से श्रद्धालु आते हैं. वर्ष 2002 में पहली बार यहां शारदीय नवरात्र में तीन दिवसीय मेला आयोजित किया गया था, जो अब प्रतिवर्ष परंपरा के रूप में मनाया जाता है.
नवरात्रों के दौरान मंदिर प्रांगण में भजन संध्याएं, आर्केस्ट्रा, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. मंदिर मंडल द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए निरंतर विकास कार्य कराए जा रहे हैं. दशहरे के दिन रावण दहन के साथ मेले का समापन होता है.
मां सगरा का यह पावन स्थल नवरात्रों में आस्था, श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम बन जाता है, जहां हर भक्त अपनी मनोकामना लेकर आता है और मां की कृपा से संतोष पाता है.
You may also like
वॉटर कुलर में उतरे करंट की चपेट में आकर महिला की मौत
नॉर्थ बॉम्बे सर्बोजनिन दुर्गा पूजा पंडाल में पहुंचीं काजोल और बिपाशा, बच्चों के साथ किए दर्शन
बांग्लादेश: डेंगू से 3 और मौतें, 2025 में मृतकों की संख्या 198 पहुंची
ट्रंप के सीजफायर प्लान पर फ्रांस ने भी जताई सहमति, यूरोप समेत इजरायल-फिलिस्तीन को जारी किया बयान
जापान: एक शहर ने तोड़ा 88 साल के बुजुर्गों का दिल, वजह हैरान करने वाली!