कोलकाता, 07 मई .पश्चिम बंगाल के उत्तर हिस्से में स्थित सिलीगुड़ी के पास मंगलवार को भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के चेतक हेलिकॉप्टर की एक खेत में एहतियातन लैंडिंग की घटना से स्थानीय लोगों में असमंजस और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई. हालांकि अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह एक एहतियातन कदम था और इसमें किसी प्रकार की क्षति नहीं हुई.
घटना दाबग्राम-द्वितीय ब्लॉक के ठाकुरनगर इलाके में हुई, जहां हेलिकॉप्टर ने सलुगाड़ा सैन्य अड्डे से उड़ान भरी थी और एक नियमित गश्ती मिशन पर था. यह मिशन क्षेत्र से होकर गुजर रही इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) की भूमिगत पाइपलाइन की निगरानी के लिए था, जो सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है.
एक अधिकारी ने जानकारी दी कि जब हेलिकॉप्टर वापस बेस की ओर लौट रहा था, तब पायलटों ने कॉकपिट में एक चेतावनी संकेत देखा. इसके बाद उन्होंने एहतियातन एक खाली खेत में लैंडिंग करने का निर्णय लिया. हेलिकॉप्टर को नीचे उतरते देख स्थानीय लोग मौके पर इकट्ठा हो गए और कुछ को यह आशंका हुई कि यह हेलिकॉप्टर सीमा पार से आया है. हालांकि, किसी ने हेलिकॉप्टर के पास जाने की कोशिश नहीं की और समय रहते पुलिस को सूचना दे दी गई.
सलुगाड़ा और बागडोगरा स्थित वायुसेना अड्डों से तुरंत टीमें मौके पर पहुंचीं. पुलिस ने स्थानीय लोगों को स्थिति समझाई और भीड़ को शांतिपूर्वक हटाया. इसके बाद भारतीय वायुसेना के तकनीकी विशेषज्ञों ने हेलिकॉप्टर की जांच की और उसे सुरक्षित उड़ान के लिए उपयुक्त घोषित किया. इसके बाद हेलिकॉप्टर को सलुगाड़ा सैन्य अड्डे पर वापस भेज दिया गया.
वायुसेना के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह आपातकालीन लैंडिंग नहीं थी, बल्कि एक नियमित एहतियाती कदम था, जो तकनीकी सावधानी के तहत उठाया गया था. हेलिकॉप्टर या किसी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह की एहतियातन लैंडिंग समय-समय पर होती रहती हैं, और मंगलवार की घटना में किसी प्रकार की अफवाह या दहशत की कोई आवश्यकता नहीं है.
उल्लेखनीय है कि यह घटना ऐसे समय हुई है जब पूरे देश में 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसारन मैदानों में हुए 26 पर्यटकों की निर्मम हत्या के बाद भारत-पाक संघर्ष की आशंका को लेकर सैन्य अभ्यास की तैयारी चल रही है. बुधवार को पश्चिम बंगाल में 30 स्थानों पर अभ्यास आयोजित किए जाने हैं, जिनमें सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर भी शामिल है, जिसे ‘चिकन नेक’ के नाम से जाना जाता है और जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से जोड़ता है.
/ ओम पराशर
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