– सुप्रीम कोर्ट पहुंचा कफ सिरप का मामला, न्यायिक जांच की मांग
भोपाल, 07 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . Madhya Pradesh के छिंदवाड़ा जिले में जहरीला कफ सिरप पीने के बाद किड़नी फेल होने से दो और बच्चों की मौत हो गई. तीन साल के वेदांत काकुड़िया और दो साल की जायुषा यदुवंशी ने मंगलवार को नागपुर में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. इसके साथ ही Madhya Pradesh में जहरीले कफ सिरप के सेवन से मृत बच्चों का आंकड़ा अब 19 पहुंच गया है. इधर, जहरीले कफ सिरप का मामला अब उच्चतम न्यायालय भी पहुंच गया है.
दरअसल, Madhya Pradesh और Rajasthan में कफ सिरप से बच्चों की मौतों को लेकर मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है. इसमें मामले की जांच उच्चतम न्यायालय के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या सीबीआई के जरिए गठित एक्सपर्ट कमेटी से कराने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार को ड्रग रिकॉल पॉलिसी और टॉक्सिकोलॉजिकल सेफ्टी प्रोटोकॉल तैयार करने के निर्देश भी दिए जाएं. साथ ही अलग-अलग राज्यों में ऐसे मामलों में दर्ज सभी एफआईआर एक जगह ट्रांसफर करके पूर्व न्यायाधीश की निगरानी में सीबीआई से जांच कराई जाए.
याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता विशाल तिवारी ने कहा कि आरोपी कंपनी द्वारा बनाई गई सभी दवाओं की बिक्री और डिस्ट्रीब्यूशन पर तुरंत रोक लगाई जाए. केंद्र सरकार और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को देशभर में ऐसी दवाओं में डाय एथिलिन ग्लायकॉल (डीईजी) और एथिलिन ग्लायकॉल (ईजी) की जांच कराने का आदेश दिया जाए. इन दोनों केमिकल की बिक्री और निगरानी के लिए सख्त नियम बनाए जाएं.
उल्लेखनीय है कि कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ के सेवन से बच्चों की किडनी फेल होने के मामले ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है. अब इस घटना की जड़ तक पहुंचने के लिए Madhya Pradesh पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) तमिलनाडु रवाना हो चुकी है.. कोल्ड्रिफ सिरप के सैंपल में डायथिलीन ग्लायकॉल की मात्रा 48.6 प्रतिशत पाई गई, जो बेहद खतरनाक और मानव शरीर के लिए घातक रसायन है. इसी के बाद तमिलनाडु सरकार ने तीन अक्टूबर को श्रेसन फार्मा कंपनी में उत्पादन पर तत्काल रोक लगा दी. अब Madhya Pradesh पुलिस इस फैक्टरी की जांच करेगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि उत्पादन में कौन-सी गंभीर गड़बड़ी हुई और किन परिस्थितियों में यह जहरीला सिरप बाजार में पहुंचा.
छिंदवाड़ा के Superintendent of Police अजय पांडे ने बताया कि एसआईटी मंगलवार को फैक्टरी पहुंचकर जांच करेगी और सिरप के निर्माण में प्रयुक्त रासायनिक तत्वों की पूरी पड़ताल करेगी. जांच दल यह भी देखेगा कि उत्पादन प्रक्रिया में लापरवाही कैसे हुई और इसमें किन-किन लोगों की भूमिका रही. उनके अनुसार, जांच के बाद एफआईआर में और धाराएं जोड़ी जाएंगी तथा आरोपित व्यक्तियों की संख्या बढ़ सकती है.
इधर, मामले में सरकार भी लगातार कार्रवाई कर रही है. Chief Minister डॉ. मोहन यादव ने Madhya Pradesh के ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य को हटा दिया है. साथ ही खाद्य एवं औषधि प्रशासन के उपसंचालक शोभित कोष्टा, छिंदवाड़ा के ड्रग इंस्पेक्टर गौरव शर्मा और जबलपुर ड्रग इंस्पेक्टर शरद जैन को निलंबित कर दिया गया है. सरकार ने मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) बनाई है. जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट और मंडला जिलों के ड्रग इंस्पेक्टर शामिल हैं.
इंदौर में दो साल पहले ही मिली थी जहरीली कफ सिरप, कार्रवाई की बजाय दबा दी फाइल
इधर, जानकारी मिली है कि इंदौर की दवा फैक्ट्री में बन रहा जहरीला कफ सिरप दो साल पहले ही पकड़ा जा चुका था, लेकिन कार्रवाई की बजाय मामला दबा दिया गया. पहले राज्य की लैब में दवा के सैंपल फेल हुए. इसके बाद केंद्र की ड्रग लैब में भी दवा जहरीली होने की बात साबित हुई. नियमानुसार रिपोर्ट के आधार पर दवा निर्माता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने और कोर्ट में परिवाद दायर होना था लेकिन अधिकारी रिपोर्ट छुपाते रहे. अब छिंदवाड़ा में इसी रसायन वाली कफ सिरप से बच्चों की मौत हुई और हंगामा मचा तो रिपोर्ट दबाने वाले अधिकारी लंबी छुट्टी लेकर गायब हो गए. नए अधिकारी के हाथ पुराने मामले की फाइल लगी और खाद्य औषधी प्रशासन अब नियमों के अनुसार कार्रवाई की बात कर रहा है.
इस मामले में इंदौर की वरिष्ठ औषधि नियंत्रक अनामिका सिंह ने कहा कि फाइल मिली है, कार्रवाई कर रहे हैं आज ही मुझे इंदौर का प्रभार मिला है. फाइल और प्रकरण संज्ञान में आया है. अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई इस संबंध में जानकारी मेरे पास नहीं है लेकिन अब खाद्य व औषधि प्रशासन नियंत्रक के निर्देश के अनुसार प्रकरण में कानूनी कार्रवाई के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
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(Udaipur Kiran) तोमर
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