चतरा, 27 अप्रैल . पारंपरिक पूजा के दौरान भगत ने चावल गिनकर इस साल अच्छी बारिश की भविष्यवाणी की है. पशुओं की रक्षा, अच्छी बारिश, गांव और घरों की खुशहाली की कामना को लेकर चतरा के गांवों में सदियों से प्राचीन देवता बीर की पूजा की जा रही है. इस पूजा में गांवों के सभी लोगों का सहयोग रहता है. जनजातीय परंपरा के अनुरूप पत्थलगडा में प्राचीन देवता जिन्हें वीर भी कहा जाता है की पूजा रविवार काे की गई.
दुंबी सहित अन्य गांवों में पारंपरिक विधि विधान एवं भक्ति भाव से बीरवन स्थान में प्राचीन देवता वीर की पूजा के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचे. पूजा से पहले ढोल बजाकर दुंबी और बरवाडीह गांव को जगाने की परंपरा निभाई गई. भगत और नाया घर घर जाकर गवांत का जल और अरवा चावल का वितरण किए. प्रसाद के रूप में ग्रामीण अरवा चावल भगत से लेकर अपने घरों में रखते हैं. मान्यता है कि इस चावल को घर में रखने से घर और परिवार बुरी नजर से दूर रहता है. गांव और समाज में सुख समृद्धि, पशुओं की रक्षा और अच्छी बारिश एवं फसल की कामना को लेकर बीर की पूजा की जाती है. पत्थलगडा थाना के समीप बीरवन नामक स्थान में जनजातीय परंपरा के अनुरूप पूजा की गई. पूजा से पहले भगत या नयवा ढोल और मुरच्छल (मोरपंख) के साथ गांव का भ्रमण किए. ढोल बजाकर सभी प्राचीन देवताओं का आह्वान किया गया. बीरवन स्थान में सूअर और मुर्गे की बली दी गई. बली के पहले भगत अपने देवता का आह्वान करते हैं और चावल का गिनती कर बारिश का अनुमान लगाते हैं. बीरवन स्थान में एक खूंटा भी गाढ़ा जाता है. चावल गिनने के बाद भगत ने अच्छी बारिश की भविष्यवाणी की. यहां बीर बाबा की साल में एक बार पूजा की जाती है. बीरवन स्थान में खूंटा गाढ़ने की परंपरा भी सदियों से चली आ रही है. प्रत्येक वर्ष बैशाख महीने में बीरवन पूजा का आयोजन किया जाता है. झारखंड में भुईंया समाज की ओर से बीर जिन्हें तुलसी बीर भी कहा गया है उनकी पूजा करते हैं.
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/ जितेन्द्र तिवारी
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