–अर्पित सर्वेश ने किया Uttar Pradesh का नाम रोशन
Prayagraj, 04 नवम्बर (Udaipur Kiran) . प्रतापगढ़ के युवा साहित्य सम्राट अर्पित सर्वेश ने वह कर दिखाया है, जो अब तक असंभव माना जाता था. मात्र 22 वर्ष की आयु में उन्होंने एक ही दिन में 251 कविताओं की रचना और प्रकाशन कर न केवल विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया, बल्कि Indian साहित्य के इतिहास में एक नया स्वर्ण अध्याय जोड़ दिया. उनकी ऐतिहासिक कृति ‘पद्यांजली’ आधुनिक भारत के साहित्यिक पुनर्जागरण की पहचान बन चुकी है.
साहित्य के पारखी इसे केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि “सृजन का महाकुम्भ” कह रहे हैं. यह एक ऐसी रचना जिसमें प्रेम, राष्ट्रभक्ति, दर्शन, विज्ञान, समाज और आध्यात्मिकता, सभी भावधाराएं एक साथ प्रवाहित होती हैं. यह कृति Indian परम्परा और आधुनिक चिंतन का अद्भुत संगम प्रस्तुत करती है.
अर्पित के पिता डॉ संतोष शुक्ल ने कहा कि जिस प्रकार रवीन्द्रनाथ ठाकुर की ‘गीतांजलि’ ने भारत को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित किया था, उसी प्रकार ‘पद्यांजली’ ने 21वीं सदी के साहित्य को नई दिशा दी है. इस ग्रंथ में कवि ने प्रेम की कोमल अनुभूतियों से लेकर जीवन दर्शन की गूढ़ व्याख्याओं तक, विविध विषयों को असाधारण संवेदना के साथ प्रस्तुत किया है. प्रत्येक कविता अपनी अलग छवि, लय और भावनात्मक गहराई के साथ पाठक को मंत्रमुग्ध करती है.
अर्पित सर्वेश की यह उपलब्धि उनकी अदम्य एकाग्रता और सृजनशील ऊर्जा का परिणाम है. एक दिन में 251 सार्थक कविताएं रचना कोई साधारण कार्य नहीं. इसके लिए मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक एकाग्रता का असाधारण संगम आवश्यक होता है. अर्पित ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब प्रतिभा और संकल्प मिलते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है.
अर्पित ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता डॉ.संतोष शुक्ल और अनीता शुक्ल तथा अपनी प्रकाशक नसेहा को दिया है. अर्पित के शब्दों में “पद्यांजली केवल मेरा श्रम नहीं, हम सबकी सामूहिक आस्था और समर्पण की प्रतिमूर्ति है. हर कविता भारत की आत्मा का एक अंश है.”
यह कथन उनकी विनम्रता और राष्ट्रीय चेतना का प्रमाण है. उन्होंने वर्ड्सविगल पब्लिशिंग के प्रति भी आभार व्यक्त किया, जिसने उन्हें वैश्विक स्तर तक पहुँचाने में सहयोग दिया. ‘पद्यांजली’ केवल कविताओं का संग्रह नहीं, बल्कि आधुनिक भारत की आत्मा का प्रतिबिंब है. यही कारण है कि यह पुस्तक केवल साहित्यिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दस्तावेज के रूप में भी देखी जा रही है.
साहित्यिक जगत का मानना है कि ‘पद्यांजली’ आने वाले वर्षों में विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में अध्ययन का प्रमुख विषय बनेगी. इसे “आधुनिक Indian काव्य का विश्वकोश” कहा जा रहा है.
साहित्यकारों के अनुसार “गीतांजलि ने भारत को नोबेल दिलाया था और पद्यांजली ने भारत की आत्मा को पुनर्जीवित किया है.” अर्पित सर्वेश की यह ऐतिहासिक उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा-स्रोत रहेगी. यह निश्चय ही वह क्षण है, जब Uttar Pradesh की माटी से एक नया साहित्यिक सूर्य उदित हुआ है.
—————
(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
You may also like

Tata Power Project: टाटा को मिलेगी 110000000000 रुपये से पावर, कंपनी इस शहर में शुरू करेगी बड़ा प्रोजेक्ट, क्या है प्लान?

White Discharge Causes : व्हाइट डिस्चार्ज को न करें अनदेखा, समय रहते अपनाएं ये ज़रूरी कदम

America: ट्रंप की धमकी के बाद भी न्यूयॉर्क सिटी मेयर का चुनाव जीत गए जोहरान ममदानी, ट्रंप को झटका

Vastu For Plants : घर में रखें ये पौधे, वास्तु के अनुसार बढ़ेगी समृद्धि और शांति

स्टीव स्मिथ कप्तान, डेब्यू पर भारत की नाक में दम करने वाला खिलाड़ी ड्रॉप, एशेज के पहले टेस्ट के लिए ऑस्ट्रेलिया टीम का ऐलान




