उत्तरकाशी जिले में रविवार को भारी बारिश और ओलावृष्टि ने जमकर तबाही मचाई। यमुनोत्री हाईवे पर पेड़ गिरने से करीब एक घंटे तक आवाजाही ठप रही, जबकि रंवाई घाटी में सेब और अन्य नगदी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा। किसानों ने प्रशासन से मुआवजे की मांग की है।
बारिश और तूफान ने रोकी हाईवे की रफ्ताररविवार को बड़कोट, गीठ पट्टी और यमुनोत्री क्षेत्र में तेज बारिश के साथ आंधी-तूफान ने माहौल को बदल दिया। गंगनानी और कृष्णा गांव के पास पहाड़ी से दो बड़े चीड़ के पेड़ हाईवे पर गिर पड़े, जिससे यमुनोत्री हाईवे करीब एक घंटे तक बंद रहा। स्थानीय निवासी रमेश सिंह ने बताया, "गनीमत थी कि उस समय कोई वाहन या व्यक्ति पेड़ की चपेट में नहीं आया।" सूचना मिलते ही प्रशासन और पुलिस ने यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोका। अग्निशमन विभाग की टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर पेड़ों को काटकर सड़क को खाली किया। इसके बाद वाहनों की आवाजाही फिर से शुरू हो सकी। गंगोत्री धाम में बारिश के बावजूद तीर्थयात्रियों का उत्साह कम नहीं हुआ और दर्शन के लिए भीड़ जुटी रही।
फसलों पर कहर: सेब और मटर की फसल बर्बादरंवाई घाटी और स्योरी फल पट्टी में भारी बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। सेब, मटर, आड़ू, खुमानी, नाशपाती और गेहूं की फसलों को भारी नुकसान हुआ। स्योरी फल पट्टी के किसान हरीश रावत ने बताया, "सेब की फसल हमारी आजीविका का मुख्य स्रोत है। ओलों ने फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया।" ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मटर की फसल भी प्रभावित हुई। किसानों ने उद्यान विभाग और जिला प्रशासन से तत्काल नुकसान का आकलन करने और मुआवजा देने की मांग की है। यह नुकसान न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करेगा, बल्कि स्थानीय बाजारों में भी फलों की आपूर्ति पर असर डालेगा।
प्रशासन का रुख और भविष्य की चिंताप्रशासन ने किसानों की मांग पर तुरंत कार्रवाई का आश्वासन दिया है। जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि नुकसान का आकलन शुरू करने के लिए टीमें गठित की जाएंगी। हालांकि, बारिश और ओलावृष्टि का यह कहर जलवायु परिवर्तन की ओर भी इशारा करता है। उत्तरकाशी जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम की अनिश्चितता किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर बीमा योजनाओं और फसल सुरक्षा उपायों की जरूरत है।
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